देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल दू गो भोजपुरी गीत

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भोजपुरी गीत सईंया रंगबाज

बनि के घुमत चले सईंयाजी हमार रंगबाज हो,
खोरी में लसारि दिहले कुलवा के लाज हो।टेक।

नाच देखे घुमत चलेले गांवा गाईं,
बेंच दिहले गहना गुरीआ सउंसे कमाई,
पार्लर मे़ रोजे करावेले मसाज हो
खोरी में —————-कुलवा के लाज हो।

लेके दूनाली पिया छोडे़ सामियाना,
अपना फरमाईस के सुनेले गाना,
नोट के उडा़वे के बुझेले आपन नाज हो
खोरी में ————–कुलवा के लाज हो।

बिगहा के बेंच के किनले बोलेरो,
लफुअन के झुंड के जुटा लेले ढे़रो,
इन्हिका ना बडुए केहुके लेहाज हो
खोरी में ————-कुलवा के लाज हो।

मेहरी के इजत के तनिको ना फेरा,
घर के बनाई दिहले दारू के डेरा,
बाबु माई के बेंचले संईचल रिवाज हो
खोरी में ————-कुलवा के लाज हो।

बिधना के लिखल कईसन भाग में ,
रूप अछईत सभ जरि गईले आग में ,
जाने कवना कलम से लिखले मिजाज हो
खोरी में ————-कुलवा के लाज हो।

भोजपुरी गीत बसंत के खोईंछा

नीमन लागे हमरा गाँव के बधरिया।
तीसी के ताल प नाचेली मसुरी,
रहर के सुर में बजावे बुंट बंसुरी,
हरदी के गवना के दिनवा धराईल,
बसंत के खोईंछा से भराईल अंचरिया
नीमन लागे———-के बधरिया।

मटर खेंसारी के फुलवा फुलाईल,
सरसो के पीयरी से धरती रंगाईल,
गहुंमा झुलत बडुए मस्ती में झुला,
फागुन के हावा बनल बा कहंरिया
नीमन लागे———के बधरिया।

पीयवा कुदारी लेके घुमे खेत आरी,
लईकन झुंड झुले बईरी के डारी,
गेन्दा के गंध से बा सभे बउराईल,
अजबे कमाल करे फगुनी बयरिया
नीमन लागे———के बधरिया।

आलु पीयाज सौंफ बनले पयजनिया,
धरती त बनि गईली गवनेहरी कनिया,
हरीअर चुनरीया से धरती रंगईली,
सुहावन लागे घुमत खेत के डहरिया
नीमन लागे——–के बधरिया।

आम अमरईया मोजर से लदईले,
नयका बसन साथे फेंड़ गदरईले,
फल फुल रंगवा से सेजीया सजल बा,
रानी बसंती के सजली दुअरीया
नीमन लागे——गाँव के बधरिया।

देवेन्द्र कुमार राय
(ग्राम +पो०-जमुआँव, पीरो , भोजपुर, बिहार )

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