देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी गीत यार का रहे प्यार का रहे

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एगो नाया पति पत्नी के गवना भईल रहे। एकदिन आपसे में देवर भाई आ भउजाई कइसे मजाक में एक दोसरा से बात करता लोग एह रसभरल भाव के गीत माध्यम से देखावे के प्रयास कईल गईल बा।ई भाव हमनी के संस्कृति के पारिवारिक संचालन के अमूल धरोहर ह।

अईसन स्नेह दोसरा जगे खोजलो प ना मिली-

पति- यार का रहे हो कवनो प्यार का रहे,
गोरी गवना के पहिले कवनो यार का रहे।

पत्नी- यार ना रहे हो कवनो प्यार ना रहे,
सईंया गवना के पहिले कवनो यार ना रहे।
देवर-नइहरे के भईया भऊजी बड़का खेलाडी़,
तोहरा के जानेली भऊजी ई अनाडी़,
कहीला बात सांच ई बेकार ना रहे,

पति- गोरी गवना के पहिले कवनो यार का रहे।
पत्नी- देवर जी कहला में रउरा गईनी अझुराई,
जा ए बउरहऊ तोहरा कहिया बुझाई,
देवर जी के सतावे के बिचार ना रहे,
सईंया गवना के पहिले कवनो यार ना रहे।

पति- हम हईं तोहार हऊ तुं हमार धनिया,
नेहिया में हमरा दमकत रह रनिया,
अईसन कहे के कवनो आधार ना रहे,
गोरी गवना के पहिले कवनो यार ना रहे।

पत्नी- तोहरे मानीले जानीले भगवान हो,
सपनों में कबहीं ना बदले ईमान हो,
राउर बडुए अधिकार कुछ बेकार ना रहे,
सईंया गवना से पहिले कवनो यार ना रहे।

पति- यार ना रहे हो धनि प्यार ना रहे,
पत्नी – सईंया गवना के पहिले कवनो यार ना रहे।

भोजपुरी गीत खोजत चले ई अंखिया

खोजत चले ई अंखिया, चेहरा ना उ भेंटाला,
आहट जे तनिको होला, नजर ई ओनही जाला।

कइसे ई मन भुलाईल, काहे रहे बेचैन,
ओही सुरत के काहे, खोजेला दुनो नैन,
लागेला जीनीगी में , प्यार शायद इहे कहाला,
आहट जे—————-ओनही जाला।

नीमन ना कुछऊ लागे, रहि रहि के पीर होला,
केकरो बतावल बतीया, बेकार बा निहोरा,
ओह सुरत के हरदम खोजीं, दोसर ना कुछ सोहाला,
आहट जे—————-ओनही जला।

रोग प्रेम के जब लागल, अतने एकर दवाई,
हो जाई तन ई चंगा, चेहरा उ जब भेंटाई,
जेकरा होला उहे जाने, दोसरा के ना बुझाला,
आहट जे तनिको——-ओनही जला।

खोजत चले ई अंखिया, चेहरा ना उ भेंटाला,
आहट जे तनिक होला, नजर ई ओनही जाला।

देवेन्द्र कुमार राय
(ग्राम +पो०-जमुआँव, पीरो , भोजपुर, बिहार )

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