भोजपुरी साहित्य

भोजपुरी साहित्य, भोजपुरी कविता, भोजपुरी कथा कहानी, भोजपुरी ग़ज़ल, Bhojpuri sahitya, Bhojpuri kavita, Bhojpuri katha kahani, Bhojpuri gazal

कवि ह्रदयानन्द विशाल जी

कवि ह्रदयानन्द विशाल जी के लिखल अध्यात्मिक गीत दुलहिन डोली मे जाली

0
पढ़ीं सभे कवि ह्रदयानन्द विशाल जी के लिखल भोजपुरी अध्यात्मिक गीत दुलहिन डोली मे जाली सुसुकत सफर मे केहु ना संघाती साथी लउकल डगर...
कवि ह्रदयानन्द विशाल जी

कवि ह्रदयानन्द विशाल जी के लिखल ठाठा के हँसीं बेमारी भाग जाई

0
कवि ह्रदयानन्द विशाल जी के भोजपुरी कविता लिखल ठाठा के हँसीं बेमारी भाग जाई घटना एगो देखनी जब जात रहनी कमाये एगो छाँटल कंजूस गइलन काशी मे नहाये गंगा...
दीपक सिंह जी

दीपक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कविता कह के चल गइल

0
जेकरा कवनो लूर ना रहल, उहो कह के चल गइल साफ करत रह गइनी हमके सजी कचर के चल गइल ई ठीक बा,अइसे होला हम समझावत रह गइनीं रे बकलोल,...
मिथिलेश मैकश जी

मिथिलेश मैकश जी के लिखल आदमी के आदत ह देखे के…

0
आदमी के आदत ह देखे के आदमी लचकोकर होला जीभ रहते भी गुंग होला दुगो कान रहते भी बहिर होला दुगो आँख रहते भी आन्हर होला बहेंगवा होला, बेहाया...
दीपक तिवारी जी

कवनो बात बा जरुरे

0
कवनो बात बा जरुरे, तबे  संघे  रहत बा। राह में  केहू राही के,  इन्तजार  करत  बा।। केहू केहू के अइसे पुछेला ना, नीमनो सुरतिया  रुचेला ना सभ आके...
रवि सिंह जी

रवि सिंह जी के लिखल भोजपुरी कथा बेटी के भाग

0
गोधन कुटा गईल रहे, लोग बियाह-शादी के रिश्ता खातिर आवे-जाय लागल रहे।रघुनाथ के भी आपन बेटी के हाथ पियर करे के रहे। एगो सेयान...
गणेश नाथ तिवारी "विनायक" जी

गणेश नाथ तिवारी “विनायक” जी के लिखल चाँद के अंजोरिया से भइले अंजोर

0
चाँद के अंजोरिया से भइले अंजोर कोयल कुके चिरई चिहके चहुओर उठ भइल अब भोर चाँद के अंजोरिया से भइले अंजोर खटिया के छोड़ि सब उठले किसनवा फुटली किरिनिया...
दीपक तिवारी जी

दीपक तिवारी जी के लिखल भोजपुरी कविता मोकाम

0
देग देग पs काँटा ,बा ओह में राह बानावे के । लक्ष्य के अपना पूरा करे के, बा मंजिल के पावे के ।। सोच के हरमेश...
रवि सिंह जी

रवि सिंह जी के लिखल आपन पहचान

0
सारिका बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के रहली। पढ़ाई लिखाई के संगे ही खेल कूद में भी अव्वल रहली।उनकर पढ़ाई लिखाई के रुचि देखी...
माया शर्मा जी

बढई-बढई खूँटा चीर खुँटवा में दालि बा, का खाईं का पीं, का लेके परदेश...

0
नानी दुवारे तरई बिछावत नेहा के बोलवली-"नेहा! मुन्हार होता ,आव$ दुवारे,तरई बिछवले बानी,बइठ$ तउलक रसोई बनेला।"नेहा घरमें से अउते कहली-त नानी कथ्था कहबू नँ?"नानी...
खदेरन के पाठशाला : नवका मुद्दा

खदेरन के पाठशाला : जलोटा के लोटा में पेट्रोल के आग

0
(क्लास में लड़िका सब गाय लेखा चुपचाप बइठल बारें स, यूएसबी स्पीकर पर अनूप जलोटा के ग़ज़ल चल रहल बा। मास्टर साहेब के आवत...
माया शर्मा जी

माया शर्मा जी के लिखल बिसरल भोजपुरी कथ्था

0
"नानी का करताड़ू, हम खेलि के आ गइनी। आव न$ ...बिछाव तरइया बइठल जाव"-नेहा नानी के बोलावत कहली। नानी तरई लियाके बिछा दिहली,तउलक ऐगो...
धर्मदेव चौहान जी

धर्मदेव चौहान जी के लिखल बहिनिया

0
पगड़ी सर के ताज बहिनिया। सारा घर के नाज बहिनिया। आँखिन के हs लाज बहिनिया। दुनिया अऊर समाज बहिनिया। दादा-दादी के ह थाति । घरवा के हs दीया-बाती। बाबूजी के...
विमल कुमार जी

विमल कुमार जी के कुछ भोजपुरी रचना

0
काँवर गीत के रस लिहीं सभे, अउर जरूर बताइब जा की लिखे आइल बा की ना काँवर गीत सईंया काँवर कीन$ चल$ देवघर घुमि आईं जा बाबा...
माया शर्मा जी

माया शर्मा जी के लिखल एगो कजरी

0
बदरा घीरि -घीरि आवेला अँगनवाँ। मचावे सोर पवनवाँना।। टुकुर-टुकुर धरती निहारे बदरिया , सूखल अँचरवा पसारे एहि कदरिया। कि जइसे एक बूँद खातिर तड़पे, तड़पे जल बिन मछरिया ना।।1।। सूखले...
संदीप कुमार सिंह जी

संदीप कुमार सिंह जी के लिखल कुछ कविता

0
दल बदलू नेता नेता जी के पेट हs की लमहर खेत इनकर एगो दल से काम ना चले दोसरा दल में ना जिईहन, ना भरी कहियो इनकर...
देवेन्द्र कुमार राय जी

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल दू गो भोजपुरी कविता

0
कवन बात हम सीखीं -------------------------------- केकरा से जीनीगी के बात हम सीखीं। भईल समाज कनईल के फेंड़, उगल बा सगरो बेवहार के रेंड़। संस्कार के जलकुंभी हरिआता, चारो देने खाली...
देवेन्द्र कुमार राय जी

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी कांवर गीत

0
भोजपुरी कांवर गीत चलीं बैजु के धाम (भाग-1) ----------------------------------- सावन में नाया कांवर कीन दीं पिया, चलीं बैजु के धाम, जीनीगी के पुरा होई हर अरमान, चलीं बैजु के...
जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

जयशंकर प्रसाद द्विवेदी जी के लिखल अनही तिखर हो गइल

0
हो भँवरा ! बाँझ भइल बगिया उठस लागे रगिया आ बिगरल पगिया हे। उचटल नेहिया तोहार अनही तिखर हो गइल॥ हो भँवरा ! चनवों चोन्हाइल तनिका न अघाइल सोझवें लुकाइल हे। हुलसे ना जियरा...
विवेक सिंह जी

विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी जुआठ

0
जब कवनो गृहस्थ अपना कंधा पर गृहस्थी के जुआठ बांध के गृहस्थी के भार खिचेला, त उ गृहस्थ अपना-आप में एगो महान व्यक्ति के...