शशिकान्त पाण्डेय जी के लिखल चार गो भोजपुरी कविता

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रोज रोइला चिल्ला के
करीबी ह सुन के दहाड़ के
बाकी हम का करि हो
समझ ना पाई छुपल हरकतवा के

रिश्ता के ई दुनिया मे
कुलीन अब समझ ना पाइ
फायदा उठावत बा विस्वास के
बाकी कोई समझ ना पाई

सात्विक परिवार में
आपन राज चलाई
कौआ के घोषाल में
कोयल पलाल जाई

फिर हम जियम कइसे
छाती में टिस टिस समाई
कैसे सम्भार करम अपना केत
समाज में बेकार हमहि हो जाइम

समाज कहत बा काहे
तू रखवारी कर
एहि समाज मे तू हु जिय
तुहु दीवाली कर

सबके चलते बा ए भाई
अंदर अंदर फेर
तू काहे लगाइले बाड़
तू नयका फैसन के घेरा

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घर के रिस्ता ही चोर बन जात बा
रिस्ता के आड़ में बंनचोर बन जात बा
का कही समाज मे लाज छुपाई
ई जयपुर के मोर बनजात बा

मोरनी मोर के कुकुटपन ना सुनाई
का कही हम कहा लग छुपाई
घर मे चोर घुशल ए भाई
बिभीषण के हाल अब कराई

मोरनी श्रीगार कर बइठल
मोर् शेर बन के आइल
रिस्ता के आड़ में का पता
नैन नैनशी के भेटाइल

सकल समाज में एक सूरत बा
भाई बहन के एगो मूरत बा
लेकिन उ समझत बा लोग
हमार अंदर में का सूरत बा

कान खोल के सुन ल
गार्जियन लोग भाई
रिश्ता के या होखे या बगल के
उहे भाई कहाई
जे रक्षाबंधन के दीवाना बन जाई

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इहवाँ के नेता लोग , जोड़े लगलन करवा
देई दना वोट हम के, लाख देम साधनवा

जनता सब सोचे लगलन , मिली सब साधनवा
बड़ी खुसी भइलन , देई देलन वोटवा,,,,,,,,,,,,

जब से ई जीत गईलन, कुछउ ना सोचलन
वादा ना पूरा कइलन, लेइ लेलन वोटवा

जनता सब सोचेलागलन, मिली सब साधनवा
हमनी के वादा देले, हमे के उ नेतावा,,,,,,,,

हमनी गरीबवन के, फंड कटी आवत बा
जनता में आधा आधी, नेता लोग खात बा

एहि लोग के कारण, देश पर करजवा
ई करज ना मिटी, होइ देश गुलमिया

फिर देश परतंत्र होइ, नेता लोग जंत्र होइ
नेता लोग मिली जाई, गरीबवन के दुख होइ

भारत माई के वीर बाड़े , नेता लोग लालनवा
करि दिहन देश के गुलामी, ए सजनवा सजनवा

जवन इहवाँ के नेता लोग वाला शीर्षक बा वो में एगो औरत अपना पति से कहत बिया कि जनता के अदालत में नेता लोग वादा करेला उत मंत्रिमंडल में पास कुछ करेललोग कुछ ना भी लेकिन जवन करेलालोग ओह में आधा बंदरबाट करेललोग इहे कारण से विश्वबैंक के कर्ज बढ़त जाट बा इनका लोग के उ पैसा खास धन होजात बा त कर्ज के चलते देश एक दिन गुलाम भी होजाई तब भी इनका लोग के दुख ना होइ कहे कि आज इहे लोग चलावत बा काल यही लोग के पहुच रही त इनिके के चलावे के उ लोग भी दी त हमनी के आज भी दुख ब कालो दुख रही का कायल जाओ समाज कहती आपन भारत मन खाती

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चाक चौकसी, के सौगंध
वीर बिटवा, आइल बा
माँ माँ संदेश, द्वार पर
तिरंगा आइलबा तिरंगा आइलबा………2

वीर पुत्र के, सौगंध में
उचित स्वरूप, आइलबा
धन्य ये धरती, माई
वीर पुत्र सहीद कहाइल बा………2

माँ के चाक, चौबंध में
दीर्ढ पुत्र, कसम खाइल बा
माँ माँ माँ, तिरंगा के साथ
वीर द्वार पर, आइलबा आइलबा
माँ के आँचल, में सहीद
वीर पुत्र, जब आइलबा
आँचल के लाज, निभाइल बा
तिरंगा द्वार पर, आइल बा……….

जवान माटी के, लाज में सहीद
वीर सहीद, ई आइलबा
सिर पर कफन , देह प तिरंगा
पहिन के , आइलबा आइलबा
दौर वीर बिटवा, आइलबा आइलबा

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