मॉरिशस के सरकारी स्कूलों में भोजपुरी की पढ़ाई शुरू

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गिरमिटिया मजदूर बनकर मॉरिशस गये बिहार के लोग आज भी अपनी संस्कृति को नहीं भूले हैं। बल्कि उसे आगे बढ़ाने के लिये निरंतर काम कर रहे हैं।
भोजपुरी भाषा को नई पीढ़ी से जोड़ने के लिए सरकार ने भोजपुरी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। इसी सत्र से मॉरिशस के सभी सरकारी स्कूलों में भोजपुरी की पढ़ाई शुरू हो गयी है। इससे वहां रह रहे बिहारियों के लिए रोजगार का भी नया क्षेत्र खुल गया है। इसके साथ साथ यहाँ रह रहे भोजपुरी भाषियों व जानकारों के लिये भी रोजगार के अवसर खुल गए हैं

बिहार के 23 सदस्यीय सांस्कृतिक दल का नेतृत्व कर रहे उद्योग मंत्री जयकुमार सिंह और संस्कृति मंत्री शिवचन्द्र राम को वहाँ के संस्कृति मंत्री पृथ्वी सिंह रूपम ने बिहार और भोजपुरी से मॉरिशस के लोगों के भावनात्मक जुड़ाव की जानकारी दी।

उन्होंने मॉरिशस में भोजपुरी तथा हिन्दी के विकास में बिहार से सहयोग की भी अपेक्षा की। मॉरिशस मार्च 2018 में अपनी आजादी के 50वें सालगिरह पर विशाल समारोह करेगा। वहां के संस्कृति मंत्री ने इसमें बिहार के कलादल की सहभागिता के लिये आग्रह बिहार के मंत्रियों से किया।

मॉरिशस के उप-राष्ट्रपति ने भी बिहार के डेलीगेशन से मुलाकात की और 3 व 4 जुलाई को बिहार के कलाजत्था ने महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट में अपने लोकगीतों से मॉरिशसवासियों का दिल जीता। बिहार के हस्तशिल्पियों ने पारंपरिक हस्तशिल्प की बानगी पेश की।

मॉरिशस के मंत्री ने छूए पद्मश्री बउआ देवी के पांव

अपने पूर्वजों की भूमि बिहार से गये कलाकारों का मॉरिशस में भव्य स्वागत किया। इनकी श्रद्धा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वहां के संस्कृति मंत्री ने बउआ देवी के पांव छूए। उपेन्द्र महारथी संस्थान के उप प्रशासक अशोक कुमार सिन्हा ने फोन पर बताया कि बिहार के कलाकारों के स्वागत बहुत अच्छे तरीके से किया गया।

बिहार के कलाकारों की छह दिवसीय यात्र में यूं तो कार्यशाला के दौरान बिहार के हस्तशिल्पी शिल्पों का लाइव निर्माण कर वहाँ के कलाकारों की इसकी प्रारंभिक जानकारी दे ही रहे हैं, लेकिन मॉरिशस ने प्रशिक्षण की दीर्घकालीन योजना भी तैयार की है। उद्योग मंत्री जयकुमार सिंह के साथ मुलाकात में मॉरिशस के उद्योग मंत्री सूमीलदत्त भोला और बाल विकास मंत्री फाजिला देवरू ने कहा कि हमारा देश दूसरे देशों से क्राफ्ट खरीदकर सैलानियों को गिफ्ट देता है। अब बिहार के मास्टर ट्रेनर को बुलाकर वह अपने देश के कलाकारों को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दिलाएगा, ताकि वहीं के कलाकार इनका निर्माण कर सकें।

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