विमल कुमार जी के लिखल नवकी भउजी

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कोयल जइसन मीठी बोली
लागे निमन का मिठाई ह,
चाल देखि के नागिन कहेली
ई कमर ना ह कलाई ह।

पायल के मधुर छन छन
लागे दूर बजे शहनाई ह,
भउजी के चंचल चितवन से
घर आंगन भइल सुखदाई ह।

भउजी हँसेली खूब ठठा के
जब कहेले देवरू मलाई ह,
माई समुझावे ना रे बबुआ
ई तोहरा भईया के लुगाई ह।

शरम से भउजी सिकुड़ जाली
जब भईया के नाम आइल ह,
बातों के अइसन फुलझड़ी छुटे
लागे रोजे फगुआ देवाली ह।

नन्द भौजाई के हँसी ठिठोली से
घरबार आनंद से ठठाईल ह,
भउजी के चंचल चितवन से
घर आंगन भइल सुखदाई ह।

सेनुर,टिकुली बदन प साड़ी
भोजपुरी के कमाई ह,
सुनर सुभेख मिलली भौजाई
ई पूर्व जनम के कमाई ह।

भउजी के चंचल चितवन से
घर आंगन भइल सुखदाई ह।

रचना- विमल कुमार
ग्राम+पोस्ट -जमुआँव
थाना -पीरो, भोजपुर (बिहार)

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