कवि ह्रदयानन्द विशाल जी लिखल कुछ भोजपुरी गीत

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हम भोजपुरीया
हमार जान भोजपुरी
भइया हम बोलिले
निछान भोजपुरी
हम….

माई भाँसा बसल बिया
हमरा नस नस मे
बोलला पर भिन जाले
अमरित रस मे
सभके करावे
अमरित पान भोजपुरी
हम….

आपन माटी आपन थाती
आपन माई भाँसा
पुजब हम अपने
माई के बारहो माशा
यु पी बिहार के ह
शान भोजपुरी
हम….

सरमा भरत जी आ
ह्रदया विशाल जी
अंजन जी महेन्दर राही
मदन गोपाल जी
दिहले बिया सभके
सम्मान भोजपुरी
हम….

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लिखीं लिखीं ना रिपोट
मारदा मिलल मन के मोट
भइल बा जवानी मे
ई दासा ए दरोगा जी
पियावा परहेजत नइखे
नाशा ए दरोगा जी
पियावा…..

होश मे रहेला त
आवेला हमरा भिरिया
कान ध के उठे बइठे
खाये लागे किरिया
पल मे पलट देला
पासा ए दरोगा जी
पियावा…..

बुझनी ना पगार सगरो
भठिये पर बोकरी
पियले मे छुट गइल
गान्ना मिल के नोकरी
रहे आमदनी आच्छा
खासा ए दरोगा जी
पियावा…..

नफरत भइल बा एकरा
घीव दुध दही से
ह्दयानन्द विशाल इ
पाऊच मार लेता कहीं से
बुझे ना अनील जी के
भाँसा ए दरोगा जी
पियावा…..

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झुम झुम के पियता
बिसार देता घीव के
सिरी हरी जाने कवन
दासा होई जीव के
सिरी…..

शुद्ध बा अनाज फल
अँखिया से ओझल
आंडा मटन मुर्गा जाता
भर पेट बोझल
गाँजा पिये माजा लेता
नाम ले के शिव के
सिरी…..

कदर ना जाने मानुष
तन के आभागा
पाछे यजमान त
पुज्यमान पिये आगा
मांश भच्छण करे
बिचलावतवे टिव के
सिरी…..

ह्दया विशाल धरम
धरती मे धसल
राज करे नकली
अलोप होता अशल
हरेन्दर अनील बेरा
भइल इन्टरभीव के
सिरी…..

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