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भोजपुरी कविता जनमावे वाली माई

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मॉस के लोथा के, आकार देहलस माई | आपन खूनवा से सींच के, जनमवलस माई || बोले, बतिआवे, संस्कार, देहलस माई | खूबी रिश्ता, नाता, के चिन्हवलस...

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल कुछ भोजपुरी कविता

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भोजपुरी कविता काशी धाम काशी के का कहीं कहल ना जाव स्वर्ग के समान सांच गंगा में नाव। पावन पुनीत जल एहीजे भेंटाई जीनीगी बितावे के असली ह...

तारकेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता फगुवा ह फगुवा

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पुरनकी पतईया, फेड़वा गिरावे | जइसे गिरहथ, कवनो खेतवा निरावे || नईकी पतइया बदे, जगहा बनावे | जायेके बा एक दिन, इहे समझावे || चईती फसलिया बा, गदराइल...

तारकेश्वर राय जी के लिखल तीन गो भोजपुरी कविता

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भोजपुरी कविता फैसन के हावा बहल बा अइसन, एगो पछिमा हावा | फार के कपड़ा, पहिरल जाता नावा || कपड़ा पहिरल जाला, तन ढ़ाके के | पहिरल जाता...

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी कविता दारा राग

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सुनी सभे आपन बा बतावतानी घर के प्रेम प्रीत राग सुनावतानी। भोरे पराती रोजे सुनाई बीबी भैरवी पंचम में गाईं। सातो सुर आ सातो थाट हरदम खोजे मेहरि घाट। जे...

तारकेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता सालो भर प त...

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घूमे आ बचवन के घुमावे आई रिश्ता आ नाता चिन्हावे आई ढेका जांत पीढ़ा आ मचिया एकरा के देखावे आई मम्मी पापा अंकल आ ऑन्टी , नाता एकरा सिवा...

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल तीन गो भोजपुरी गीत आ...

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महंगाई महंगाई अईसन कईले बा बेहाल कि नुन रोटी हो गईल मोहाल। माई के दूध सुखल बचवा के अतडी़ हमरा कमासुत के झुरा गईल गतरी, आगे बुझात नईखे होई...

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी कविता मुंह कहवां बोरीं

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कह ए भोजपुरिया भईया हीक भ भोजन कहां झोरी कमाईल त मिलत नईखे कह मुंह कहवां बोरीं? कतना दिन ले आस लगवनी कुछ कटि जाई दिन मोर तुहीं कह...

डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता आइ हो दादा

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सपना देखनीं भोरहरिया आइ हो दादा, मुखिया हो गइल मोर मेहरिया आइ हो दादा । हमरा दुअरा उमड़ रहल बा सउँसे गाँव जवार, लाग रहल बा देवीजी के नारा बारम्बार, डीजे बाजता...

देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी कविता बेटा ह कि...

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चालीस बरीस प अईसन भईल जमले बेटा बुढ़ऊ के अंगनाई, थरीया ढोल मजीरा बाजल बाजल सोहर में खुब शहनाई । ...

हरेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता कमाइ दिहलस पपुआ

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पढ़ि लिखि के का कइल भईया पढ़वईया, कमाइ दिहलस पपुआ खाँचा भर रुपईया। मंत्री बिधायकजी के खास भइल बड़ुए, गऊआँ के लफुअन के बॉस भइल बड़ुए, आ मुखियाजी के काँख के भइल...

डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता हमार जान ह...

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हमार सान ह हमार पहचान ह भोजपुरी, हमार मतारी ह हमार जान ह भोजपुरी| इहे ह खेत, इहे खरिहान ह इहे ह सोखा, इहे सिवान ह, हमार सुरुज ह हमार चान...

हरेश्वर राय जी के लिखल लूटीं लूट मचल बा

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लूटीं लूट मचल बा सगरो लूटीं लूट मचल बा। बाढ़ लूटीं, सूखा लूटीं राहत के लूटीं मिठाई, भूख लूटीं, पियास लूटीं लूटीं थोड़की महंगाई। वोट लूटीं, नोट लूटीं लूटीं चकाचक नारा, रैली...

डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता आवले बोलता नयका...

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हर के कलम से धरती के कागज प पसीना के सियाही से जीवन उकेरे ला किसान बाकिर ओकरे घटल रहता चाउर पिसान। ओकरे पसीना अतना सस्ता काहे बा ओकरे हालत अतना खस्ता काहे...

जगदीश खेतान जी के लिखल भोजपुरी कविता कबले होब फेल

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बबुआ तू कबले होब फेल? का कहीं बहुत तोहका झेललीं, अब हम ना पाईब तोहें झेल। कइसे पढबऽ कबले पढब्ऽ। का-का पढबऽ ई समझा दऽ डागडर बनब कि...

जगदीश खेतान जी के लिखल भोजपुरी कविता हमहूं लूटीं तेहू लूट

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हमहूं लूटीं तेहू लूट। दूनो पहिने मंहग सूट। उपर वाले के भी खियाव। अपने पीअ आ उनके पियाव। अईसे जो कईले जईब त रिश्ता हरदम रही अटूट। हमहूं लूटीं तेहू...

प्रिंस रितुराज दुबे जी के लिखल भोजपुरी कविता मोदी आईनी काशी

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मोदी आईनी काशी हई उहा कS भारत बासी भारत के मिलता पहचान अब कशी बनता भारत के शान अब कशी करे निहोरा अब भोजपुरी के सम्मान करS पूरा देश बिदेश...

प्रिंस रितुराज दुबे जी के लिखल भोजपुरी कविता नायका बरिस

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नायका बरिस लेके आईल बहार हो नाया नाया होई हजार धमाल हो | मन के भीतरिया ख़ुशी के उमंग आकाश में चमके सतरंगी पतंग | दईब करस कुछु...

प्रिंस रितुराज दुबे जी के लिखल भोजपुरी कविता भारत से इंडिया...

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जवन भारत सभ्यता आ संस्कृति कऽ केंद्र होत रहे आज उऽ फूहर इंडिया हो गईल बा | जेकरा के मर्यादा आ सुनरता के जननी बुझल जात...

डॉ राधेश्याम केसरी जी के लिखल भोजपुरी कविता दुनिया कइसे बा...

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आइल गरीबी जिनिगी आफत, उनकर खाली लमहर बात। सात समुन्दर, उनका घरवा , घी क अदहन रोज दियात। हमरा घर में कीच- कांच बा, नइखे घर में भूंसा-...