बाबा रंगबाज आ लंठ

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बाबा – बाबुजी के बाबुजी, बाबा कहाले , आ पुजा पाठ करावे वाला पंडी जी के कतहु कतहु लोग बाबाजी कहेला , कई हाली ओहि पंडी जी के लईका के जोडा पारी के लोग बाबा कहेला । बाकी हम जवन बाबा एजुगा लिखले बानी एह बाबा आ आ बकिया बाबा मे बाडा अंतर बा । अब तनि देखल जाउ की बाबा आ रंगबाज के कहात बा एह घरी ।

बाबा आ रंगबाज – जेकर बोली अईसन जवना मे घमंड आ गरुर होखे , घमंड आ गरुर अईसन जवना से केहु के नाफा ना नुकसाने होखे वाला बा , जेकरा करतुत से घर के त घर के मय जवार के लोग तबाह बा , जेकरा खाति लईकन के पाछे सीटी बजावल बाँये हाथ के काम बा , जेकरा से लोग डेराला , जेकरा खाति केहु मारल पीटल केहु के लपडियावल थपरियावल बहुत आसान बा । कई हाली गलती से एह लोगन से नीमन काम भी हो जाला त ओहु से बाबा भा रंगबाज के परतोख दिहल जाला । एह लोगन के अपना छोडि के दोसरा के चिंता फिकिर ना रहेला , ई लोग कतनो बाउर काम कई सकेला आ करेला , ई लोग हमेसा जीट जाट मे रहेला , दबंगई , माने केहु के दबावल सतावल त एह लोगन के असली गुन ह , आ एह लोगन से डेरा के जवन आदर भाव निकले ला ओह पे संगिया वाला लोग एह लोगन के बाबा कहे लागेला आ पीठ पाछे रंगबाज ।

आवारागर्दी के दुसरका नाव बाबा आ रंगबाज ह , ना पढे लिखे वाला के दोसरका नाव बाबा आ रंगबाज ह , माई बाबु के कहल ना सुने वाला के दोसरका नाव बाबा आ रंगबाज ह , अपना से बड से गलथेथई करे वाला के दोसरका नाव बाबा भा रंगबाज ह ।
आ ई सामुहिक बाबा आ रंगबाज लो के परिभाषा हो गईल , एकरा आलावा कबो कबो नीमनो खाति बाबा आ रंगबाज कहल जाला बाकि ई अतिये ह अउरी कुछ ना । ई ठीक ओइसही कहाला जईसे कवनो नीमन चीझु खाये के भेटा गईल त लोग कहल की बवाल बा । भा केहु नीमन चीकन चाकन ड्रेस पहिर के निकलल त लोग कहेला की का हो तबाही मचईबs का ? माने एजुगा कहे के माने नीमन से बा बाकी एकर मुखाडी माने बाउर रहेला । बवाल आ तबाही के सोझा साझी वाला अर्थ नीमन ना होला बाकी ई कहवा कहात बा ओह से एकर माने एकर अर्थ बदल जाला ।

कई हाली संघतिया लो आपस मे बाबा कहेला , जईसे का हो बाबा का हाल बा , ई तनि टांठ इयारी के भाव ह ! बाकी रंगबाज त कबो नीमन ना हो सकेला , अईसे त एह जुग जबाना मे केहुओ चोरी आ सीनाजोरी करेला ओकरा के राबिन हुड ( एगो बिदेशी चोर जवन अपना किहा बड बड लोगन किहा चोरी कई के गरीबन मे बांटत रहे ) कहाये लागेला । अबहिये कुछ दिन पहिले सलमान खान के एगो फिलिम आईल रहे उ घुस ले के अपना घरे आ अपना संघतिया लोगन के बीचे बांटत रहे त लोग ओकरा के दबंग आ बाद मे राबिन हुड पांडे कहल
कबो कबो अईसन होला की लोग रंगबाज के नीमन सोचि के कहेला बाकि सांच इहे बा की रंगबाज कवनो जगह लागो उ रंगबाजे रही ओकरा खाति नीमन बाउर कुछ दोसर ना होला , ओकरा जवन नीमन लागी उहे नीमन ओकरा जवन बाउर लागी उहे बाउर , रंगबाज लोगन के केहु अउरी के चिंता ना होला , ओकरा अपना आगे केहु से कवनो मतलब ना रहेला ।

आजु काल्हु नवहा लोगन के बीचे रंगबाज आ बाबा कहाये के भुत कपारे धईले बा जेकरा के देखि उहे बाबा आ रंगबाज कहवावल पसन करता।
पता ना , बाकी हम अबही ले जवन रंगबाज आ बाबा लोग के देखले बानी उ लोग उपरा लिखलका मई बतिया प एक दम नीमन से रचाईल गढाईल बा लो । हो सकेला सोशल मिडिया मे रंगबाज आ बाबा के परिभाषा कुछ अउरी होखे बाकी जमीन प भुईँया उतरला प रंगबाज आ बाबा उहे बा लो जेकरा से बस के कंडेक्टर पईसा ना मांगत होखे आ मांगि देला प ओकरा दु थप्पड परि जात होखे , जे चट्टी प गिलास मे चाह भा पानी पिअत होखे त पिअला के बाद ओकरा के फेंकि देत होखे ।

गमछी के महत्व के केहु नसले बा त एगो नेता आ दुसरका ई बाबा आ रंगबाज लोग । आ एहिनिये लो के चलते अब गते गते लोग कांह प गमछी राखल बनि कई देले बा भा कम कई देले बा ।
बाबा आ रंगबाज के एगो अउरी पर्यायवाची शब्द आ जवना के नाम ह ” लंठ ” आ ” लंठ ” हमेसा अपना ” लंठई ” के काम से जानल जाला ।
सांच कही त बाबा से बाबाई ना बनल बाकी बाबा से रंगबजई आ लंठई जरुर बनि गईल बा । बाबा रंगबाज आ लंठ लोगन के बारे मे अभी अतने मन परल ह , हो सकेला कुछ भोर परि गईल होखे बाकि हमार भेट त कुछ अईसने बाबा , रंगबाज आ लंठ लोगन से भईल बा ! आ ई कतहु से नीमन बात नईखे ।

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