शहीदन के नावे सूबेदार पाण्डेय जी के एगो रचना

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उ पहिरले होई तिरंगा कफन हमनी खातिर,
आपन पुंजिया देशवापे लुटवले होई ।
अपने हिम्मत से मरले होई,
दुश्मन उ सीमा पर।
माइ के आबरू अपने बचवले होई।। 1।।
देहिया जरलहोइ देशभक्ति के ज्वाला में,
गोलिया सीना पे खाइल होइ।

दुश्मन के खून से होली खेलले होइ सीमा पे,
वतनपरस्ती के रस्म निभवले होई। । 2।।

चढ़वले होई अपने जिस्म क टुकड़ा कइके,
येही मिट्टी के सीना पे।
अमन कै रागिनी अपने उ गवले होई।। 3।।

उ मातृभूमि रक्षा खातिर,
पलटन में जाइ भयल भरती।
माई क मान रखै खातिर,
पलटन में जाइ भयल भरती।।
छुट्टी में घरे रहल आयल,
परिवार से अपने मिलै खातिर
माइ के गोदि में सिर रखिके,
बचवा बनि तनिक सोवै खातिर
बाउ कै अपने बनै सहारा,
बहिना कै मान करै खातिर। ।। 1।।

सूबेदार पाण्डेय जी
सूबेदार पाण्डेय जी

पर इक दुपहरिया मिलल खबर,
दुश्मन चढ़ि आयल हौ सीमा पर।
सुनतै बेचैन हो गयल उ,
कइलस तईयारी जाए क।
भूलि गयल उ बाग बगइचा,
खेती बारी भूलि गयल।
माइ क भूलि गयल ममता,
मेंहरी क मेंहदी भूलि गयल।
भुला गइल भाई क सनेहिया,
बहिना कै राखी भूलि गयल।
भुला दिहेश बचवन कै चेहरा,
कुलि संगी साथी भूलि गयल।। 2।।

जब सीमा पर पहुँचल ,
तब एकै बतिया याद रहल।
माइ के दूध के कर्ज बा केतना,
एतनै बतिया याद रहल।
देश प्रेम के ज्वाला में,
ओकर छाती जरै लगल।
सीमा पर घमासान कइलस,
दुश्मन कै खेमा उखड़ गयल।। 3।।

जब दिवाली रहे मनावत,
उ सीमा पे होली खेलते बा । हमनें के सुख चैन बदे,
सीना पर गोली झेलत बा।
दुश्मन से लोहा लेत लेत,
गोली कइलस उ सीना पर।
अपना तो मरल अकेला उ,
मतलब उ बीस के सीमा पर।
दुश्मन की कमर तोड़ देहलस,
दुश्मन कै दांत भयल खट्टा।
उ बीर सपूत रहै माई कै,
ना शान में लगै दिनेश बट्टा।। 4।।

आपन सब कुछ करै समरपन,
जउने राह से चलि के गयल।
वोहि माटी से तिलक करी सब,
जहवां ओकर पांव पड़ल।
जउने माटी में जनम लिहेसउ ,
उ माटी भी धन्य हो गइल।
जेहि जगह पे ओकर चिता सजल,
काबा काशी उ जगह हो गईल।। 5।।

उ आपन सब कुछ लुटा दिनेश,
अध्याय नया इक लिख गइल।
अपना तो स्वर्ग सिधरलन उ,
ई वतन हवाले कर गइलन।
ना घरके लिए भइया अईले,
खाली माटी घरवां आइल।
मिल गइल माटी में माटी
माटी की महिमा मटियै गाई।
आवा ओनके याद में मिलि,
हम सब एक दिया जताई जा।
हम सभे मिलि के ओनके उपरा,
आपन नेह लुटाई जा।। 6।।

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