अभागन बनली सुहागन : अभियंता सौरभ कुमार

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उ दिन सावन के दुसरका सोमार रहे । बरखा पिछला 5 दिन से बरिश्त रहे । आ अईसन पानी पड़त रहे की आज ना बरिशेम ता कबो ना बरिशेम । तले जोरदार बिजुली चमकल आ हमरा मुह से ई बात निकल गईल अ ऐ ए !!! आजी हाउ देखा अभागो चाची पूजा करे जा तारी । हम जंगला से झांक के कहनी ! तबले माई के ऐ गो जोरदार चटकन कान के नीचे पड़ गईल । माई डाटे लगली इहे पढ़े ला स्कूल में मास्टर साहेब इ हे सिखावेनी की अपना से बड़ के कुछो कह दा ।

तब ले आजी आ के हमरा के चुप करावे लागली आ माई के डाटे लागली । इ लइका के कॉवन दोष बा जवन सुनले बा उ कह देहल आजी माई से कहली । हम आजी के साथे ओसारा में चल गइनी आ गोइठा प के पकावाल लिटी खात खात आजी से पूछनी ए आजी ओ चाची के लोग अभागो चाची काहे कहेला।

हमरा बड़ी जींद काइल के बाद आजी मान गइली आ बतावल शुरू कइली …..

ई राजमोहन के मेहरारू हाई आ इनकर नाम राजलक्ष्मी हा । 20 बारिष पाहिले बड़ी धूम-धाम राजमोहन बियाह कई ले इनकरा के ले के आइले। इनकर शुघराई के 4 कोस ले शोर भागैल रहे। बड़ी सुन्दर बहुरिया रहली । सुन्दर ता अभियो बाड़ी हम बीचे में टोक देहनी आजी हँसे लागली ।।। अभागो लोग काहे कहेला बतावा ना आजी अच्छा बतावत बानी तानी सास लेबे दा आजी कहली ।

बियाह के आइला के बाद ई आपन शुघराई के साथ साथ मेल जोल आ पूजा पाठ से सबकरा के मोह लेहली । समय बीते लागल आ इन कर नाम काम वेव्हार के चर्चा हर उ घर में होखे लागल जवना घर में बियाह होखे भा होखे वाला रहे । इनकरा आइला के बाद उ घर आँगन में बुझाओ की ख़ुशी ओ घर दुवार के गुलाम हो गईली बिया।

राजमोहन के सरकारी नोकरी लाग गईल । आ इनकरा देह से एगो लइको हो गईल जेकरा साथै तू खेलत रहला लईकाई में । हा आजी हमरा मन पड़ गईल उ मोहन नाम रहे उनकर ।।
कुछ साल बाद राजमोहन के तबादला कवनो शहर में हो गईल । कुछ साल ले सब ठीक रहे फेर राजमोहन कवनो औरत के चक्कर में पड़ी के आपन घर दुवार से धीरे धीरे नाता तुड़े लागले । आ इनकार ऊपर बीपत के पहाड़ पड़े लागल ।

राजमोहन के लाख संझौलो पर उ बात ना मानस आ इनकरा के छोड़ दिहले । जबले राज मोहन के बाबू जी जियले तबले नून रोटी के इंतजाम कर देस उ । बाकिर कुछ बारिष के बाद उहो गुजर गइले । आ ई बेसहारा हो गईल। लोक लाज छोड़ के ई चूल्हा चूउका करे लगली । शिव जी के मंदिर के सफाई के काम करे लगली । बड़ी कठिन से गोदी में लाईका के आ आपन पेट में नून रोटी इंतज़ाम कर पावस।

आ ओने राजमोहन दूध मलाई खास उ मेमिन के साथै । कुछ बारिस बितला के बाद केहु कहल की राज मोहन के घर में चोरी हो गईल। आ उ मेमिन उनकर सब रुपिया पैसा ज़मीन जब हड़प के भाग गईल । ई सदमा राजमोहन से बर्दाश ना भईल आ उ धीरे धीरे पागला गइले । गांव के लोग खोजे गईल बाकिर ना मिलले।

आ इनकार रो रो के पगली के हाल हो गईल ईनकर अब शिव जी सहारा रहनी । उह्वे के सेवा कारस आ दू चार रूपया के हुँ चढ़ावे ओ ही से गुजरा करस ।।

फेर आजी का भईल हम पूछनी अब जा माई लागे ई आजी कहली ।। ना ना आजी बतावा ठीक बा सुना जब तहार (आजा) दादाजी फउज से रिटायर हो के आइनी ता सावन में गाँव के लोग के आपन गाड़ी से देवघर बाबा भोले नाथ के नगरी में जल चढ़ावे ले गइनी । साथै ई खायेक बनावे खतिर ई हो गईल रहे।

आ उह्वे बाबा के नगरी में राजमोहन मील गइले गाँव के लोग चिन्ह के धर पकड़ के ले के आईल। आ ई चंदा मांग के चूल्हा चौका करी के राजमोहन में बेमारी के ईलाज करावे लागल । बेजारी आपन सुहाग के निशानी मंगल सूत्र ले बेच देहलस दवाई बीरो के पैसा खातीर। धीरे धीरे राजमोहन ठीक हो गइले। आ ताहार दादाजी के दाऊड धुप से फेर से उनकर नोकरी लाग गईल।

आ ई फेर से सुहागान जाइसन रहे लगली। आ शिव जी इनकरा इनकरा जिनगी में फेर से ख़ुशी दे देहनी ।तब से इ सरला सावन भरला भादो शिव जी के पूजे लागली । राजमोहन के लाखों कहला पर गाँव के शिव जी सेवा पूजा के छोड़ के ना गईली शहर । तब से लोग इनकरा के कहे लागल अभागन बनली सुहागन।
हर हर महादेव जय जय शिव शंकर बोल बम ।

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