महादेव कुमार सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी दहेज के मार

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परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, रउवा सब के सोझा बा महादेव कुमार सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी दहेज के मार, पढ़ीं आ आपन राय जरूर दीं कि रउवा महादेव कुमार सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी ( Bhojpuri Kahani) कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि एह कहानी के शेयर जरूर करी।

एतबार के भोर में चुलबुलिया के ससुराल से फोन आईल कि ई बार फेर से चुलबुलिया के एगो लइकी पैदा भईल। एतना सुनते चुलबुलिया के माई-बाबू के जोर से माथा ठनक गईल, अईसन लागल जइसे कि उनके उपर कोई पहाङ गिर गईल।

चुलबुलिया के माई कहले-“ इ सब भाग के खेल बा, जेकरा कपार मे जे लिखल रही ओही न होई ? बेचारी के पहिले से एगो लईकी रहे फेर से लईकिए भईल, ई सब सुनके चुलबुलिया के बाबू से न रहल गईल- “अरे का बकतारे जे होएके रहल हो गईल, पहिले से एगो लक्ष्मी रहे एगो आउरो लक्ष्मी आ गईल, ओइसे भी बेटा-बेटी कोई अपना हाथ के चीज थोडे न बा ?

महादेव कुमार सिंह जी
महादेव कुमार सिंह जी

ई सब सुनके चुलबुलिया के माई तिलमिला गईल- “ हाँ रऊरा खूब मेंही से बतियातानी बेटी के बोझ जेकरा उपर पङता ओही जानेला, एगो कहावत बा न कि “जाके पाँव न फटे बेवाई 3 का जाने पीङ पडाई , रऊरा के हम का कही ? भाग मे जे रहे ओहे भईल। अब बात के बतंगङ कईला से कोई फायदा नईखे, हमरा भी चुलबुलिया के लईकी पैदा भईला से थोरे न दुख बा? हम त ओकर भविष खतिरा चिन्ता में बाणी कि जेकरा एको पईसा के आमदनी नईखे दू-द् गो लईकिया खातिर दहेज कहाँ से लाई? रऊरा त जानतानी कि दहेज के चोट केतना खतरनाक होला?

चुलबुलिया के बाबू अपन धरम पत्नी के बात सुनके उबिया गईलन आउर कहलन कि- “हमराके तु का सुनाबेल ? सारी दुनिया जानता कि नारी स्नेह और ममता के समंदर होला लेकिन जब हमरी समाज में फलल-फुलल बिषाणु मिश्रित दहेजरूपी पौधा के हमरी अपने लोगवा घर घर मे लगाके ओकरा खूब पोषित करेलन तब ऊहे पौधा स्नेह और ममता के प्रतिरूप हमरी सम्पूर्ण नारी शक्ति के वर्तमान और भविष्य दूनो के तबाह कर देला। ओइसे भी अब हमनी के हाथ में का बा? आउर लईकिया के पैदा होतही तु ओकर दहेज के बारे मे काहेके बखान शुरू कईले बारू? तोहके काहे खतिरा आजे से दहेज के दरद सतावे लागल?

अगर गौर कईल जाये तो चुलबुलिया के माई-बाबू अपना समाज में प्रचलित दहेज के मार बहुत करीब से देखले औरो महशूश कईले बारन। जी हाँ दहेज के बारे में हमनी के पूरे समाज के सोचे के पड़ीदहेज के टीस औरो जखम के ओही लोग समझिहे जिनका दहेज के चोट औरो पीङा से सामना भईल होई।

दहेज के मारल आज केतना घर बरबाद हो गईल, केतना त अईसन उजर गईल कि उठे के सऊर तक नईखेआजो बहुत अईसन घर बा जहाँ पर दहेज के कारण कई जबान बिटिया के हाथ पीयर नईखे भईल। दहेज खतिरा एक-एक पईसा के जुगाङ में आदमी के जूता घिस जाला और संतुलन बिगङ जाला। दहेज के कारण जौना घर में सालों-साल से शादी के समय बढावल जाला, उनकर माई-बाबू के बारे मे सोची कि उनकरा ऊपर का बितत होई? ई सब दरद ओही बाबू भईया समझ पईहें जिनका दहेजरूपी राक्षस से पाला परल होई।

दहेज के पीडा जहरीला से जहरीला साँप औरो बिच्छुओ के टंकार से भी ज्यादा खतरनाक होला। ई पीडा जननी के प्रसव पीडा से हजारो गुणा ज्यादा औरो लम्बा समय तक तन-मन दूनो के चोटिल करत रहेला।

दहेज हमरी समाज के अइसन संताप बा कि पवित्र कन्या के जनम होतहीं माई-बाबू कन्या के बड़का बोझ समझेलन। दहेज लेन-देन दूनो अपराध बा लेकिन भीतर-भीतरे लोग दहेज लेन-देन करे से तनिको परहेज नईखे करेलन। बाकी दिन अब दूर नईखे जब दहेज जईसन अपराध आऊर पाप पर पूर्णतः प्रतिबंध लग जाई। भगवान श्री कृष्ण, श्रीराम, बुद्ध औरो महावीर के हमनी के पवित्र माटी से सामाजिक कुरूति मिटाबे के अब समय आ गईल बा।

अपना देश प्रदेश मे सदियों से चलल आ रहल कुरूति से हमनी मिलजूल के लडी आउरो आवाज उठाई। एही बीच एगो बङका खुशी के बात ई बा कि हमनिए के समाज में कुछ अईसन देवतुल्य महामानव बारन जे दहेज के सख्ती से विरोध करेलन आऊर अपन लईका-लईकी के शादी में एको पईसा दहेज लेन-देन न करेलन। हमरी समाज आऊर हमरी पवित्र धरती मईया बिना दहेज के शादी करेबाला अईसन महान, आदर्शवादी आउरो संस्कारी लोग व उनके पूरे परिवार के सदा-सदा के लेल ऋणी रही।

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