भोजपुरी कवि सम्मेलन का सफल आयोजन

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पूर्वांचल भोजपुरी महासभा द्वारा दिनांक 15 मई 2016 को हिन्दी भवन, ग़ाज़ियाबाद में एक भव्य राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसकी सफलता ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया कि भोजपुरी हिन्दी के बाद दूसरी लोकप्रिय भाषा है और पूर्वांचल ही नही देश के हर कोने में इस भाषा को जी जान से चाहने वाले लोग हैं ।

खचाखच श्रोताओं से भरा हिन्दी भवन का प्रांगण इस बात का गवाह था कि भोजपुरी कविता का क्रेज हिन्दी कविता के यदि बराबर नही है तो ज्यादा कम भी नही है । भोजपुरी कविता की सहजता एवं ठेठ बोली की मिठास श्रोताओं को इतना विभोर कर दिया था कि अंतिम कवि तक हॉल भरा था । ठहाके और तालियाँ जो मंच के कवियों के लिए उत्प्रेरक का काम करता है बिना माँगे ही खूब मिल रहे थे जिसके लिए ग़ाज़ियाबाद के भोजपुरी प्रेमियों को बार बार नमन करने का मन होता है।

पूर्वांचल भोजपुरी महासभा के अध्यक्ष श्री अशोक श्रीवास्तव के सुन्दर संयोजन एवं भोजपुरी के अंतर्राष्ट्रीय कवि एवं टीवी एंकर श्री मनोज भावुक के अद्भुत एवं मोहक संचालन में राजधानी के आस-पास के कई भोजपुरी कवियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और बिहार से भी आये भोजपुरी के कई नामचीन कवियों ने शानदार काव्य-पाठ किया जिनमें वरिष्ठ गीतकार सर्वश्री डॉ कमलेश राय, गीतकार डॉ सुभाष यादव, भोजपुरी हास्यकवि बादशाह प्रेमी,कवियित्री सरोज सिंह ,वरिष्ठ व्यंग्यकार मोहन द्विवेदी, अशोक श्रीवास्तव, गजलकार मनीष मधुकर, वरिष्ठ कवि जयशंकर प्रसाद द्विवेदी,व्यंग्यकार पी के सिंह पथिक, हास्य-व्यंग्य कवि विनोद पांडेय, गीतकार केशव मोहन पांडेय,कवियित्री रश्मि प्रियदर्शिनी एवं युवा कवि अनूप पांडेय जी प्रमुख थे ।

भोजपुरी कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में ग़ाज़ियाबाद के सिटी मजिस्ट्रेट उपस्थित रहें । विशिष्ठ अतिथि के रूप में चक्रपाणि जी महाराज जी,समाजसेवी सागर शर्मा, समाजसेवी सिकंदर यादव के साथ साथ शहर की कई महान विभूतियाँ उपस्थित हो कर भोजपुरी कविता का आनंद उठाया।

संस्था ने कवि सम्मेलन से पहले कवियों के साथ-साथ भोजपुरी भाषा एवं पूर्वांचल के लोगों के विकास/सहयोग के लिए तत्पर रहने वाले समाजसेवियों,उद्द्मियों का सम्मान किया जो देश-विदेश में रहकर भोजपुरी भाषा एवं भोजपुरी बोली बोलने वालों के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं ।तत्पश्चात डॉ सुभाष यादव जी के मधुर वाणी में सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन प्रारम्भ हुआ ।उनके बाद युवा कवि विनोद पांडेय ने एक ओ रजहाँ तत्कालीन सामाजिक विसंगतियों पर व्यंग्य किया वहीं दूसरी तरफ माहौल ऐसा कर दिया जैसे ठहाके का महोत्सव मनाया जा रहा हूँ । जहाँ कहीं कवि कमजोर पड़ते थे, कुशल संचालक मनोज भावुक अपनी मजेदार टिप्पणियों से माहौल को बार-बार बदल कर श्रोताओं को गुदगुदाने लगते थे । अच्छे संचालक की खूबी होती है कि वह कमजोर कवि को भी कमजोर न लगने दे। भावुक जी के संचालन में ग़ज़ब का संतुलन, त्वरित व मनोरंजक टिप्पड़ी , बात -बात में अनोखे सन्देश, फुल हंसी -मजाक और कवियों के साथ हीं साथ सभागार में बैठे दर्शकों से भी संवाद करने और उन्हें बाँध कर रखने की कला है। ऐसा सञ्चालन बहुत कम देखने को मिलता है जहां कवि, कविता और श्रोता सब एक हो जाते हों और चार घंटे तक 15 कवियों को सुनने के बाद भी और हो जाए… और हो जाए की प्यास बनी रहे।

भोजपुरी कवि सम्मेलन की मोहकता अपने चरम पर पहुँच गयी थी जब व्यंग्यकार मोहन द्विवेदी जी ने अपनी सामायिक कविता “ललुआ इंटर पास हो गईल” सुनाया । सिवान से आये सुप्रसिद्ध डॉ सुभाष जी जैसे सरस्वती के वरद पुत्र के मधुर कंठ से माँ और ममता के तानेबाने को बुनती भावपूर्ण गीत सुन कर कुछ की तो आँखे छलछला गयी । शब्द-शब्द कमाल थे और भाव तो सीधे ह्रदय में उतर रहे थे। आमंत्रित कवियों के साथ-साथ कवि सम्मेंलन के संयोजक अशोक श्रीवास्तव जी ने भी बेहतरीन सामायिक काव्यपाठ किया। संचालक मनोज भावुक जब अपने काव्य-पाठ के लिए उतरे तो तालियाँ रुकने का नाम नही ले रही थी। श्रृंगार और समाज को अपने ग़ज़लों में पिरो कर मधुर स्वर में परोसने की जो कला भावुक जी के पास दिखी,वो बहुत कम ही दिखने को मिलती है। ” चाँद – सूरज बनाईं लइकन के, घर में अपने अंजोर हो जाई ” जैसे शेर सुनाकर भावुक जी ने सबको मुग्ध कर दिया।

भोजपुरी कवि सम्मेलन के अंत में सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ कमलेश राय जी ने जो गीत-कलश रखा उसके बाद तो कवि सम्मलेन में कुछ बचा ही नही । श्रृंगार के शानदार गीत वो भी बड़े मोहक अंदाज में, सब गीत गंगा में डुबकी लगाने लगे और भोजपुरी कविता की कलात्मकता एवं सहजता में खो गए ।

रात साढ़े दस बजे तक जब कार्यक्रम संयोजक अशोक श्रीवास्तव जी के धन्यवाद ज्ञापन के बाद समाप्त हुआ तो श्रोतागण ऐसे दिखे जैसे वो यहाँ से बहुत कुछ लेकर जा रहे हैं । भोजपुरी बोली की मिठास, ढेर सारा प्यार ,शब्दों की महक,गीतों की गुनगुनाहट जैसी-जैसी यादें । वाकई भोजपुरी माटी की खुशबू ऐसी ही होती है । इतने शानदार,अद्भुत एवं अविस्मरणीय कवि सम्मेलन के लिए पूर्वांचल भोजपुरी महासभा को बहुत बहुत बधाई ।

रउवा खातिर:
भोजपुरी मुहावरा आउर कहाउत
भोजपुरी शब्द के उल्टा अर्थ वाला शब्द

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