दीपक तिवारी जी के लिखल भोजपुरी कविता मोकाम

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देग देग पs काँटा ,बा ओह में राह बानावे के ।
लक्ष्य के अपना पूरा करे के, बा मंजिल के पावे के ।।

सोच के हरमेश उच्चा राखs, छोट ना सोचल जाला हो।
खुद बा खुद राह मिलेला, मंजिल भी मिल जाला हो।।
कर्तव्य के अपना छोड़s नाही, बा दुनिया के दिखलावे के……

हँसत रहs मुस्कुरात रहs, आगे ही बढ़त रहs हो।
मातृ भाषा के भुलब नाही, इहे कहत रहs हो।।
आगे आगे रखे के बा,एकर गौरव बा बढावे के……

सपना कबो झूठ ना होला, हिम्मत चाही पूरा करे के ।
लड़ झगड़ के हांसिल होखे,चाहे नउवत आ जा मरे के ।।
पीछे फिर भी हटे के नइखे,बा खुशी के दिप जरावे के…….

नाता कबो टूटे नाही, सांस भले ही छूटे हो।
दुनिया बैरी हो जा, चाहे आपन रूठे हो।।
मन में ठानल गीत खुशी के ,बा इक दिन गावे के…..

सांझ सबेरे उठत सुतत, मन में एकहि बात रहे।
बिना थकले चलते रहs, चाहे अन्हरिया रात रहे।।
सफलता कदम चूमि,दिन गईल लोर बहावे के……

खुद पs राखs भरोशा,सभ गलत फरेमी दूर होई।
तोहरा सोझा झुके खातिर,सभ के सभ मजबूर होई।।
सही दिशा में चलत रहs,ध्यान नाही हटावे के…..

मुसीबत से लड़ते लड़ते, बा उहा तक जाए के ।
गंगा जी के पानी में, अबकी बा नाहाए के ।।
तन मन के सगरो मईलिया,रगड़ के बा छोडावे के…..

इरादा जब अटल रही, मुश्किल भी आसान होई।
कमल के जइसे कीचड़ में, तोहरो पहचान होइ।।
शान से सर उठा के ,बा बिगुल अब बजावे के………

जिनिगिया खुशी से भर जाई, करत रहs प्रयास के ।
उमीद ना कबो छोडीह, टूटे ना दीहs आश के ।।
फेरा में सभ के सभ रहेला,टँगरी खिंची गिरावे के….

पीछे ना मुड के देखs , छूट गईल से छूट गईल।
साथ ना केहू देला, तs दीपक कहs का भईल।।
खुद अकेला काफी बाडs,केहू का काम पड़ी ना आवे के….

दीपक तिवारी
ग्राम पोस्ट श्रीकरपुर, थाना गुठनी,जिला सिवान (बिहार)
पिन कोड-841435

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