भोजपुरी खातिर जमीनी स्तर के आंदोलन भी जरूरी बा : विवेक सिंह

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जय भोजपुरी जय भोजपुरिया समाज सब भोजपुरी भाई लोग के प्रणाम।

आज हम आप सबसे फिर कुछ कहे अउर सुने के चाहत बानी, अगर हमरा बात से केहु के मन मे दुख होइ त माफ करेम आप सब।

हमार ई पोस्ट केहु एक व्यक्ति या फिर कौनो एगो समूह से नइखे, ई पोस्ट उ सब कोई खातिर बा, जे अपना समाज अपना माटी अउर अपना माई भाखा खातिर कुछ करे के चाहत बा, त आई अब अपना बात पर चलल जाव।।

सौभाग्य के बात बा की हमनी के भोजपुरिया वासी अउर भोजपुरी भासी बानी जा। हमनी भोजपुरी माटी के सभ्यता अउर संस्कृति बहुत ही सुंदर अउर सरल ह. जवना में लोक, लाज, आदर, घनिष्टता अइसन बहुत कुछ बा जवना वजह से सब कोई आपस मे बंधल बा।

भोजपुरी
भोजपुरी

पहिले बहुत कुछ पर्दा में रहे अब सब धीरे धीरे बेपर्दा भइल जाता। हमनी सब के उहे बेपर्दा भइल आज भोजपुरी के गरीमा गिरावत बा. सब कोई जान सुन के भी बर्दाश्त करता, हाला की एकर लड़ाई त होता बहुत गहराई अउर उच्च स्तरीये होता। त ई कहा होता, ई होता सोसल मीडिया पर ई होता कौनो माहा सम्मेलन में। खाली हो हल्ला ऐसे जोन सरगर्मी यूट्यूब पे या फेसबुक चाहे जेतना भी सोशल साइड पे बा. ओतना ना केनियो भोजपुरिया प्रान्त के भूधरा पर या गांवई व्यक्ति पर असर बा। यानी कि जमीनी स्तर पर कुछु नइखे सब हवा बा। केहु के कुछ मतलब नइखे सब कोई ओसही बा “”पिअवा से पहिले हमार रहलु”” ई ना बाजे के चाही जे चिल्लाता उ चिल्लावो, “हम थे वही हम है जहाँ” ई गीत अश्लील सुने वाला अउर गावे वाला अपना पर लागू कर लेले बाड़े।। यानी कि दुनु ना सुधरिये।।

ज्यादा ई हल्ला ज्यादा ई विद्रोह केकरा लउकत बा… ओकरे लउकता जे भोजपुरी के अस्तित्व से जुड़ल बा अउर बाहर बा, अकेल बा या परिवार के साथ परदेश में बा, ओकरे लउकता। ई कइसे ओकरा ज्यादा दिखत बा ई सुनी, उ बेचारु दिन भर डियूटी कर के साम के अइहे अपना रूम पे। थोड़ा सा वक्त मिली त उ अगर समाजिक या अपना भोजपुरी के प्रेमी होइ हे त फेसबुक या कौनो वेबसाइड खोल के अपना भोजपुरी के समाचार पढ़िए त उहां उनका बुझा जाई की सब काम फिट बा। पूरा जोड़ सोर से भोजपुरी के उठान खातिर काम होता। सब जगह आंदोलन होता सम्मेलन होता वाह वाह होता।। जेतना भी भोजपुरी के लेके साइड बनल बा उ बेचारु सब के आध आध घन्टा देखिहे अउर खुश हो के खाना खाके सुत जइहें।।

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लेकिन जब उ साल या दु साल पे छूटी लेके अपना गांव अउर घरे अइहे त उ सब कोई से मिले के चाह में मोबाइल भुला जइहें जब मोबाइल पास रहते हुवे भी समय न मिली चलावे के अउर गांव के रवैया तनको बदलल ना मिली त उ अपने से कहिये की लागत बा गांव के लोग ना सुधरी। उ सबसे कहिये की भोजपुरी के लेके केतना बात होता अउर हर जगह अश्लील गाना पर रोक लगावल जाता, ज्यादा से ज्यादा भोजपुरी लिखाता पढ़ल जाता अउर आप सब अभी केतना पीछे बानी या अभी भी अश्लीलता से जुड़ल बानी। सब कोई उनकर बात सुनी ह में ह मिलाई अउर अपना अपना रास्ता जाई।। फिर दस से पन्द्रह दिन में उ अपना के समझिहे की हम बदल गईल बानी। अउर हम आन्हर हो गइल रहनी जे सोसल साइड पर ही खूब जय हो जय हो करत रहनी हs। सब जय हो जय हो इहा गांव जवार में लुप्त हो जाता, जमीनी स्तर के लड़ाई केनियो नइखे।।

अश्लीलता के खिलाफ जेतना भी ग्रुप बनता उ ग्रुप में से अनेको ग्रुप बन जाता काहे एकर केहु जबाब देही बा या ना। केहु नइखे काहे, काहे की सब के आप ही पूवा पकावे के बा सब कोई अपना आप के ही राजा समझत बा अरे ई कब तक चली । अगर अइसने रवैया रही त अश्लीलता आंदोलन के अग्निकुंड में भोजपुरी के केतना पीड़ी ह्वन के रूप में शोवः हो जइहें ई केहु आकड़ा नइखे लगा सकत।।..

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हर संगठन के मक़सद ऐके बा अश्लिलमुक्त भोजपुरी बाकी सब के तेवर ऊपर बा काहे, काहे की केहु, केहु से कम नइखे सब कोई दूर से ही निसाना लगावत बा अउर आपन पूवा पका के अपने खाये के फेरा में पर जाता।। अगर केहु से कही कि अरे तनी निस्वार्थ होखे भोजपुरी खातिर जन आंदोलन जमीनी स्तर से करअ न तब देखी केतना आदमी आगे आवत बाड़े सब कोई आपन आपन रस्ता देखली।। अरे भाई खाली सोशल मीडिया अउर सम्मेलन से का होइ अउर ई सब से ऊपर होता त खाली अच्छा अच्छा पाच, दस गो निमन गीत अउर शॉट मूवी एकरा ऊपर का होता जय जय, जय हो, जय भोजपुरी, ।।

इ सब से ऊपर एगो अउर बात बा एक दूसरा से तू,तू मैं,मैं एक दूसरा के प्रति कटाक्ष पोस्ट एक दूसरा के नीच देखावे खातिर। बड़ बड़ स्टार गायक होखस या हीरो सब के ऊपर टिपड़ी,,। अरे भाई हमनी के लड़ाई अश्लीलता से बा ई ना कि केहु व्यक्ति विषेस से, हमनी के आपस मे ही लड़त रह जाएम जा अउर टिपड़ी करत बाकी अश्लीलता के मिटावे खातिर एक कब होखेम जा ।।
हर गांव में अच्छा आदमी बाड़े बुरा आदमी भी बाड़े, बहुत लोग अश्लीलता से ऊब चुकल बा अउर अभद्र गावे वाला के गाली भी देता।। त ओहिजा केतना लोग के अश्लीलता भरल गाना ही पसंद बा। खाली चिंगारी के हवा देवे के बा बाकी आग त खुद आपन कमाल देखा दी.

अभी भी लोग प्रोग्राम के पसंद करता चाहे उ कौनो व्यास के गवनई होखे या लौंडा के नाच। लेकिन नवका समाज के आगे पुरनका लोग के नइखे चलत उ लोग आपन इज्ज़त बचावे खातिर चुप रखे में ही भलाई समझत बा सब।।

अभी के समय मे खाली खेसारी,पवन,निरहू इहे लोग बिहार यूपी के स्टार बा, ई हम नइखी कहत ई उ सब लोग कहता जे सोसल मीडिया या सम्मेलन जे दूर बा। काहे की अभी फिलहाल में ही हमरा गांव के बगल वाला गांव में खेसारी के प्रोग्राम रहे ओमे आलमराज, दिपक दिलदार, अजीत आनंद, अउरी लोग भी आइल रहे। लेखिन खेसारी के नाम पे भीड़ भइल तर्किबन पाच हजार से ऊपर ही जनसमूह होइ लेकिन खेसारी ना अइले फिरभी लोग प्रोग्राम देखलस सुनलस।।

कहे के तथ्य इहे बा कि तनि आप सब आके आपन आपन गांव घूमी गांव के माहौल देखी सब से मिली आपन बात रखी ओकरा बाद सब के अपना प्रति नजरिया देखी।। थोड़ा सोसल मीडिया से हटी अउर जमीनी स्तर से सट के नजर दौड़ाई..।

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गांव होखे या शहर हर जगह के ऐके रीत बा लोग दुइये आदमी के बात सुनेला पहिलका ओकर जे पूरा पईसा वाला बा या जेकर नाम बा चेहरा के पहचान बा ।।.. बाकी लोग का बा त खाली हवा बा, आज के समय मे सोसल मीडिया अउर सोसल साइड भी जरूरी बा लेकिन जमीनी स्तर के आंदोलन अभी भी सबसे जरूरी बा।।

हमनी के सौभाग्य बा कि हमनी के अपना स्वच्छ भोजपुरी खातिर लड़त बानी जा। लेकिन एहू में दुख के बात ई बा कि अभी भी जातिवाद के लेके सब के मन मे ईर्ष्या समा गईल बा। ई बात सब से बड़हन अउर महत्वपूर्ण बा, एकरा के सब कोई अपना दिमाग से निकाल देव की के कौन जाती के बा..। जब तक सब एक न होई त कुछ काम न होई, हर कोई अपना अंदर के द्वेष के मारो अउर एक होके आगे बढ़ो। नाही दसगो ग्रुप बने ना ही अलग अलग सोसल साइड।।

दुगो टिम बने अउर दुनु के दु दिशा दिआवो बाकिर मकसद एक रहे अउर सब के बिचार एक।

पहिलका टीम के काम जमीनी स्तर के आंदोलन से होखे दुसरका टीम के काम सोसल साइड अउर सोसल मीडिया पे होखे।।

ई दुनु टिम में एगो फार्मूला लागू रहे “”साम, दाम, दंड, भेद”” जे जोना तरीका से मान जाव ओहि तरीका समझाई।।

जब तक भूमिगत लड़ाई में सब कोई ना जुटी त कुछो सम्भव नइखे चाहे आप केतनो अच्छा गाना निकाली या फिल्म बनाई या भोजपुरी सम्मेलन करी तनिको फ़र्क गवई आदमी के ऊपर नइखे पड़े वाला।। ऐहिसे जातिगत, व्यक्तिगत ईर्ष्या, द्वेष अपना अंदर से मिटाई अउर आगे बढ़ी।। ना त गुलामी के दिन याद कर ली कि अंग्रेज सब से हमनी के आजाद होखे में केतना दिन अउर केतना साल लागल रहे।लेकिन वो समये एकही उद्देश्य रहे आजादी आजादी सिर्फ आजादी.

हमनी के भी उहे उद्देश्य बा कि अश्लीलता से मुक्त भोजपुरी आपन स्वच्छ भोजपुरी आपन सुंदर भोजपुरी।।।त एक होखी सब अउर बिचार करी बात सही बा या गलत।।….

विवेक सिंह..पंजवार..सिवान।।

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