100+ भोजपुरी पहेली | बुझउवल | Bhojpuri Riddle

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अपना भोजपुरी में पहेली के बुझउवल कहल जाला, बुझउवल से लइकन में सोचे के आ विश्लेषण करे के क्षमता बढ़ेला। हमरा पता बा की रउवा बुझउवल (भोजपुरी पहेली) पढ़ के राउर आपन लइकाइ जरूर मन पर जाइ, अच्छा लागल त शेयर आ लाइक जरूर करी।

भोजपुरी पहेली | बुझउवल | Bhojpuri Riddle

  1. भोजपुरी पहेली | बुझउवल
    भोजपुरी पहेली | बुझउवल

    अंगना में कचबच, बारी में तऽ हइए ना;
    अस फल खइहऽ कि ओकरा बोकला त हइए ना।

    – ओला

  2. अगल-बगल खूटा, गाय मरखनी दूध मीठा।
    – सिंघाड़ा
  3. आड़ी बा गाड़ी, पहाड़ पर चढ़ी,
    मरदा पर मउगी झमाक से चढ़ी।

    -पालकी
  4. ई मेता के अजगुत बात
    बे दुलहा के गइल बरात।

    – राम की बारात
  5. ऊपर आगि नीचे पानी, बीच में बइठे पंडित ज्ञानी।
    ई बुझौवल बूझे से बड़ा गियानी।

    – हुक्का-चिलम
  6. ऊपर से चित कइनी, जेतना मन ओतना धँगनी।
    – सील-बट्टी
  7. ऊजरी बिलइया के हरिअर पोंछि।
    – मूली
  8. एक ओर जट तिवारी, दूसरी ओर जटुली
    दुनु जाना में भेंट भइल, लागल चटाचटही।

    – केंवाड़ी
  9. एक घड़ा में दुरंग पानी।
    – अंडा
  10. एक चिरइया चट ओकर दुनु पर।
    ओकर खलरा ओदार ओकर मांस मजेदार।

    – ईंख
  11. एक जीव असली, ओकरा हाड़ ना पसली।
    – जोंक
  12. एक ठो गगरा, ना तोरा से उठे
    और ना तोरा बाप से उठे।

    – कुंआ
  13. एक थाल मोती से भरल
    सबके सिर पर ओंधा धरल
    चारों ओर थाली फिरे
    मोती ओसे एक न गिरे।

    – आकाश
  14. एक नगर में दू बादशाह, दूनू छतर धरे,
    रे सखि! हमें बताव कइसे राज करें।

    – स्तन
  15. एक नार देखी मैं न्यारी
    अन्दर कपड़ा ऊपर उघारी।
    अपने काम की कड़ी सेयानी
    और के हाथ से पीवे पानी।

    – दावात
  16. एक नारी अचरज करे,
    साँप मारि पिंजड़ा में धरे।

    – दीपक
  17. एके नारी, पुरुष बा ढेर
    सबसे मिले एक ही बेर।

    – कंघी
  18. एक नारी बहुरंगी, घर से बाहर निकली नंगी।
    ओ नारी के इहे सवाल, नीचा नथुनी मुंह पर धार।

    – तलवार
  19. एक पहलवान के नकवे टेढ।
    – चना
  20. एक पेड़ कसमीरा कुछ लौंग फरे कुछ जीरा
    कुछ काकरि कुछ खीरा।

    – महुआ और कोइना
  21. एक पहलवान के पेटवे काटल।
    – गेहूँ
  22. एक बाटे फेंड़, ओपर ओखरि अनेक।
    – कटहल का पेड़
  23. एक बिता के फेड़, सवा हाथ के पाता।
    – चाक और कीली
  24. एक मुरगी चलते-चलते थकी गैल।
    छूरी से टाँग काटिले त फेरु चले लगलै।

    – पेन्सिल
  25. एक लड़की अइसन, फुन्सी के बाटे फैसन।
    – कटहल
  26. एक समय में ऐसा देखा बन्दर दूहे गाय,
    छालकाट जंगल में फेंके दूध बनारस जाय।

    – पासी, ताड़ और (ताड़ी)
  27. ऐंठत कान तुरंते रोवे
    ओकर आँसू प्यास बुझावे।

    – पानी का नल
  28. ऐसा सबद कहाँ कोई ज्ञानी
    यूंची देख डंटा फुफुवानी।
    दोनों हाथ से मसोर के धरे
    जे-जे मन में आवे से से करे।
    – कुम्हार, चाक, मिट्टी का पिंड
  29. कटोरा पर कटोरा, बेटा बाप से भी गोरा।
    – नारियल
  30. काजर अस कजरारी बेटी, इंगुर के सिंगार।
    बइठल बाटी पतरी डाढ़ी देखत बा संसार

    – जामुन
  31. करिया कमर उजर सूत, जे ना बूझे मेहरी के पूत।
    – भैंस और उसका दूध
  32. करिया बिलार ओकर हरियर पोंछ।
    – बैंगन
  33. कारा, पर कौआ नहीं, उठब पर हौवा नहीं
    नाक से करता अपना काम, तुम बताओ उसका नाम।

    – हाथी
  34. कारी गाय पाछाँ में बाँधल।
    – स्त्रियों का जूड़ा
  35. किस में एक अनोखी बात
    मुख कडुआ आ मीठी बात।

    – खीरा
  36. कोठी पर बोले कॅगना, झलक जाय अंगना।
    – दीपक
  37. कौन सहर आगी लागल कौन सहर सुंआ।
    चलू सखी देखन, सोर करे कुंआ।

    – हुक्का
  38. खड़ी है, मनभरी है, लाख मोती जड़ी है
    राजा जी के बाग में दोसाला ओढ़े पड़ी है।

    – मकई का बाल
  39. खर खाये बढ़ जाय, पानी पीए मर जाय।
    – आग
  40. खेत में उपजे सब केहू खाय।
    घर में उपजे घर बाहि जाय।

    – फूट
  41. गर्मी में सुख पहुंचावेला और जाड़ में आग।
    बिना पाँव के चले बराबर, वाह रे सुंदर भाग।

    – पंखा
  42. गोर बदन मुख साँवला बसे नदी के तीर।
    पहिले रण में वह लड़े एक नाम दोउ वीर।

    – दोनों स्तन
  43. घर घर भैंसी नाथल बा।
    – तराजू
  44. घर में बुढ़वा लटकल बा।
    – ताला
  45. चउकी पर बन बइठल रानी,
    सिर पर आग बदन पर पानी।

    – मोमबत्ती
  46. चढ़ल नाक पर, धइलस कान,
    बोलऽ जल्दी कउन जवान।

    – चश्मा
  47. चांद-सुरुज में भइल लड़ाई, सुकवा आवे तबे छोड़ाइ।
    – ताला-चाभी
  48. चुम्मा लेते चिचिआ के उठे।
    – शंख बजाना
  49. चौंसठ कनिया, चौंसठ भतार
    चार चवन्नी, एक भतार

    – रुपया
  50. छाती फाटल, कपारे घाव,
    नीमन घर में ओकर ठाँव।

    – शंख
  51. छाती से छाती लड़े, लड़े छेद से छेद
    घिसिर-घिसिर कइला से निकले चीज सफेद।

    – जाँते में आटा पीसना
  52. छोटकी बबुनिया के नकबे टेढ़।
    – चना
  53. छोटी चुकीबाड़े फाटल उनकर पेट
    गरीबन के के पूछो, राजा खालढेर

    – गेँहू
  54. जंगल उपजे हाट बिकाय, हिंदू तुरुक सभे मिलि खाय
    नाम लेत में आवे हँसी आधा गदहा आधा खसी।

    – खरबूजा
  55. जब परदेसी घर में अइलन।
    बाँधल आ लटकावल गइलन।

    – परदा
  56. जाए में दुःख, समाए में सुख।
    – चूड़ी पहनना
  57. जे कीनल से पेन्हल ना, जे पेन्हल से देखल ना
    – कफन
  58. झांझर कुइयाँ रतन के वारी
    बुझिवे त बूझ नत देइब गारी

    – चलनी
  59. तनी गो छउड़ी बड़ कहरी,
    तनी सा टुंग देहनी सब जहरी

    – मिरचाई
  60. तर मेहा ऊपर खलिहान, तापर खेती करत किसान
    – कुम्हार का चाक
  61. तहरा माई के पेट फूले, हमहीं दबाई ले।
    – रोटी पकाना
  62. तोरा अँगना गइली त बिना मंगले देलू।
    – पीढ़ा
  63. तोरा घर गइली खोलि के बइठलीं
    – जूता
  64. थप्पर मारते छींक बोलावे, रास्ते-पैरे भीख मॅगावे।
    – खैनी (सुरती)
  65. दिन में सोए रात में रोए जेतना रोवे ओतना खोवे।
    – मोमबत्ती
  66. दूध के जान, दही के बच्चा, सब कोई खाला ओकरा के कच्चा
    – मक्खन या नेउन
  67. देखे में गोल-गोल, पीतर के लोटा, जेना बूझे से बन्दरे के बेटा।
    – बेल
  68. धूप लगे पर सूखे नाहीं, छाँह लगे कुम्हिलाय।
    तुमसे पूछो ए सखी, पवन लगे मरि जाय।

    – पसीना
  69. नाक पर चढ़े आ पकड़े कान बतावऽ ये बाबू ई कवन जवान
    – चश्मा
  70. नाथल थरिया घर-घर घूमे।
    – तराजू
  71. नाव करे ढक-ढक नदी घोंघिआय,
    केवला के पात पर सोना उतराय।

    – मक्खन
  72. नीचे पतला ऊपर चौड़ा, ई मत जानऽ नारी हऽ।
    टाँग उठाके डाल दिया, ई मत जानऽ गारी हऽ

    – पाजामा
  73. पंख बिना उड़ रहल अकेला
    बाँध गला में डोर।
    बतलाव चिरई के नाम
    जे नापे अम्बर के छोर।

    – पतंग
  74. पंडित! पंडित! बूझऽ बात
    रात भर में तीनों जनमें
    बाप, बेटा अवरु नात।

    – दही, घी, मट्ठा
  75. पान अइसन पातर, चाँद अइसन चकता।
    – पापड़
  76. पीअर सुराही लम्बा घेट मोती भरल ओकर पेट
    – अनार
  77. पैर बिना ऊपर चढ़े, बिन मुख भोजन खाय,
    एक अचम्भा देखल भाई, जल पीए मरि जाय।

    – आग
  78. फरे ना फुलाय, भर ढाका तुराय।
    – पान-पत्ता
  79. फाटल पेट दरिद्री नाम, उत्तम घर में वाको ठाम,
    श्री को अनुज, विष्णु को सारो, पंडित होय तऽ अरथ बिवारो

    – शंख
  80. बन में रहली, बन फल खइली
    बन में भइल बियाह
    अइसन पुरुष का पाले परली
    पीठी लागल सेवार।

    .- नाव
  81. बन में बछरू डंकरत बा, केहू घरे ना
    – शेर
  82. वन में ओखर टाँगल बा।
    – कटहल का फल
  83. बन में गोजी फेंकल बा। बन में बरहा बिगल बा।
    – साप
  84. बाट चलत मोर अँचरा गहे
    मोरे सुने न आपन कहे
    अस एहवात का झगड़ा छाँटा
    ऐ सखी साजन, ना सखी काँटा।
    बाप गरम बेटा ठंड, पोता चिक्कन छह-छह।

    – दूध, दही एवं घी
  85. बीच ताल में बसे तिवारी
    बे कुंजी के लगे किवाड़ी।

    – घोंघा
  86. बोलवला पर बोले ना, मरला पर उड़े।
    – फुटबाल
  87. बीसों के सिर कट गइल,
    ना मुअल ना खून भइल

    – नाखून
  88. भर बित्ता के डालीले, सैउसे देह हिलाइले।
    – दातौन
  89. मउगी करे तीले तीले, मर्दा करे तीन बेर।
    काजल
  90. मथनपुर के राजा चिटुकपुर धरइले।
    तरहथीपुर बिचार भइल नोहरपुर मरइले।

    – जूआँ
  91. माथ पर मोटरी, चूतड़ में लकड़ी।
    – चूल्हा
  92. राजा के बेटा नबाबे के नाती, सौ गज कपड़ा के बान्हेला गाँती।
    – प्याज
  93. लाल गाय खर खाय, पानी पीए मर जाए।
    – आग
  94. लाल ढकना, टहकार ठकना खोल खिड़की पहुंचाव पटना।
    – लेटर बॉक्स
  95. सगरे गाँव में एके ढेला
    – सूरज
  96. सब कोई चल गइल, बुढ़वा लटक गइल।
    – ताला बन्द करना।
  97. सांझ के पैदा भइल, अधरतिया जवान
    होत सबेरा मर गइल, घरवा भइल मसान।

    – ओस
  98. सिर पर आग बदन में पानी।
    – हुक्का
  99. सोने के सामपियारी, सोने के पिंजड़ा उड़ गइली सामपियारी, पड़ल बाटे पिंजड़ा
    – प्राण
  100. हती बुती गाजी मियाँ, लम्बा बा पोंछ भागल जाले गाजी मियाँ, खदेरेला पोंछ
    – सूई धागा
  101. हाथ गोड़ हइए ना पीठि पर पाँच गो अंगुरी
    – चिपरी

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