भोजपुरी पत्रिका सिरिजन : एगो टटका अधखिलल फूल

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दू टुम बात करे के बा । रुचे-पचे लायक इ दोसरका अंक परोसात बा। समहुत अंक के जेतना उमंग के साथे तिनसुकिया से लेके फरीदाबाद ,गाज़ियाबाद , मुसहरी बाजार , दुर्गा पुर आ छपरा आदि अनेक जगहा लोकार्पण भइल ओसे मन धधा गइल आ इ निश्चित हो गइल कि भोजपुरी पत्रिका सिरिजन भोजपुरियन लोगन के दुवारी आपन उपस्थिति बता दी ।

दोसर बात इ बा कि भोजपुरी आपन मातृभासा ह, जवना में कंठ खुलल त माई – चाना मामा आरे आव S, पारे आव S, नदिया के किनारे आव S, सोना के कटोरीया में दूध भात लेले आव S,, बबुआ के मुह में घुटुक सुना-सुना के खियावस ।

भोजपुरी पत्रिका सिरिजन
भोजपुरी पत्रिका सिरिजन

इया एहि भासा में राजा तू बढ़ई बढइ डाटS , बढइ ना खूंटा चीरे, खूंटा में मोर दाल बा , का खा , का पि , का ले परदेस जा ? इ कविता, कहानी सुना-सुना के अपना गोदी में ठोक -ठोक के सुता दिहली ।

जहाँ पीपर के पेड़ पर बरहम बाबा आ जीन बाबा बाड़े , अइसन मान के लंगोट चढ़ेला , जेवनार चढावल जाला । नाम के नीचवे काली माई रहेली । रात के डेरात राही के डीह बाबा गांव में ले पहुँचावेलें। एतना प्रकृति के नजदी क रहेवाला अपन इ भोजपुरी भासा ह ।

अपन इ भासा सत्तर हजार वर्ग किलोमाटर के क्षेत्र में फइलल बा । खाली भारत में सोरह करोड़ लोग भोजपुरी में बोलेलें। उपी , बिहार, मध्य प्रदेश आ झारखण्ड में त खूब जम के बोलल जाला । नेपाल के तराई से लेके मारिसस , फिजी , त्रिनिनाद , मलेसिया आउर सिंगापूर जइसन सताइस देसन मे भी भोजपुरी बोलल जाला ।

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