तारकेश्वर राय जी के लिखल भोजपुरी कविता सालो भर प त गाँवे आई

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घूमे आ बचवन के घुमावे आई
रिश्ता आ नाता चिन्हावे आई
ढेका जांत पीढ़ा आ मचिया
एकरा के देखावे आई

मम्मी पापा अंकल आ ऑन्टी ,
नाता एकरा सिवा भी होला बंटी
बाबा, आजी, चाची-छोटकी
छोटकी-फुवा , माई-बड़की

बड़का-चाचा, चाची-छोटकी
मझिला-बाबा, आजी-मोटकी
छोटकी-फुवा, माई-बड़की
याद करता आजा तोहके,
तोहरा गांव क खोरी सड़की

धान, गेहू, जनेरा आ मकई
मसरी, चना, रहर आ अरुई
हाड़ी, पतुकी, भरुका परइ
नरिआ, खपड़ा, कोठिला मड़ई

उम्मी, होरहा, घुघरी लाइ
बरम बाबा आ चंडी माई
ई कुल के चिन्हावे आई
सालो भर प त गाँवे आई

दशहरी, चौसा, मलदहिया के सिवा भी
होला किसिम आम के औरु
बैरियवा, सेनूरियवा, मिठका
रोहिनियवाँ, सुगईयवा खटका
एकरा के देखावे आई

माई माटी भी खुश हो जाई
पिकनिक यहां मनावे आई
बचवन के चिन्हावे आई
सालो भर प त गावे आई

तारकेश्वर राय
स्थाई निवास : ग्राम : सोनहरीआ,
पोस्ट : भुवालचक्क,
जिला : ग़ाज़ीपुर, उत्तरप्रदेश

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