अमरेन्द्र जी के लिखल एगो व्यंग कम्पूटर आ पलिवार

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गोड़ लागिले कम्पूटर बाबा! चार्ल्स बेवेज भाई की जय हो!

क्रिया कर्म के बाद, हम भोरे उठतहिं एही दू गो लाएन बोलिना आ कंपूटर के की बोड प अंगुरी चलावे सुरू कर दीहिनी। चाय, नास्ता-पानी, खान-पिआन सभ एके साथ उनुके रूम में होला।भोर से राति हो जाले इनिके साथे।

बाकि उनुका आने कि हमरा घरइतिन के ई कंपूटर तनिको ना भावसु।दिन भर नाक धुनत रहेली।जरि जो।मरि जो।तोरा ऊफर परो रे कम्पूटरवा। आ,जो रे चार्ल्स बेवेजवा। ई जे तु जवन जिनीस बनइलसु,एकर सजा तोरा के भगावन जड़ुर दिहन।

कम्पूटर आ पलिवार
कम्पूटर आ पलिवार

कम्पूटरवा के पले जब-जब हमरा के देखेली बहुते अनसा ली।अकेले में बोलती भा बेलनिअइती हमरा कवनो तकलीफ ना रहित।बाकि ई त एगो अलगे बखेड़ा खाड़ा कइले बाड़ी।ई एकरा साथे सवतिआ डाह क लेले बाड़ी।अउरअउर ई हितई-नतई,बहरी-भितरी सभ जगे हाला फैला देले बाड़ी कि हमार संवाग बेहाथ होखत जा रहल बा।भोरे से लेके आधा रात तक ई कंपूटरवे में सटल रहत बा।हमरा ला त एह खसूट भीरि ना कवनो टायेम बा ना जगह।

दिन राति बर-बर बरबरात रहेली।एके बतिया धुनत रहेली।बहरिका लागो एह कंपूटर के।ना जाने ई कहवाँ से आ के हमार जीवन नरक बनवले बिया।सात लाख नगदी,अतने के समान आ उपर से कपड़ा लाता।कवन-कवन चीझु हमार बाप-मतारी ना देले रहनि?

अमरेन्द्र जी
अमरेन्द्र जी

अतना देला-लेला के बादो हमार तनिको मान मरजादा नइखे,बाकि ई नसपीटी कंपूटरवा,पहिले त साठ-सतर हजार लगा के आइलि उपर से एकर टेबुल,कुरूसी आ बिजुली के कतने मसीनि हजारन लगा के बजार से अइलि सं।ए बहुरिया ला अलगे घर,पर्दा,एसी हई-हऊ।उपर से हर महिने मेनटेन कराई।हमार करम फुटि गईल हम अईनी रोपेया ले के आ राज करतिआ ई।किनी बेसहि के आईल फतूरिया।

अउरअउर ई जे बुतुरूआ बा इहो ठीक अपना बापे के राहि धइले बा।जसहिं बपसी ओह घर में से निकलत बाड़े कि ई ओही घर में घुसिआ जात बा।देखहिं के छोट बा।जा के इहो ओकरे में चपकि जाला।दु तीन एतवार से त ई खाये- पीये के चिन्ता छोड़ि-छाड़ि के कम्पूटरवे के फेरा में रहत बा।ना किताब पढ़त बा,ना लिखत बा,ना बोलते बा।एकरा का हो गईल।जो रे! बेहाया कंपूटर! तोरा तनिको लाज दया नइखे।तु हमार पूत-भतार दूनों छिन लेलिस।अब क गो पीढ़ी छिनबिस।

आ एने हमार दू चारि गो संघतिया बाड़न, अलगे नाराज रहत बा लोग।केहू कहत बा कि का भाई! जब से कंपूटर ले अईल तु त दूज के चाँद हो गईल।केहू कहत बा मरदवा तु लक्की बाड़े।तोरा भी सुग्घर मेहरारू आ नवका जबाना के टटका वर्जन के कंपूटर दूनों बा।तऽ हमरा पांड़े जी के अलगे समसेआ बा।हरमेसे पूछत रहत बानी कि आ हो,सिंह जी! ई दूनो के एक साथे कइसे सम्हारे ल हो।

रउआ लोगिन किछुओ कहीं।बाकि हम आजु साफ क दिहल चाहत बानी कि: अब लाएन कटे के इंतजार करेली भा मनावेली कि बैटरिया बइठि जाईत।

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