कन्हैया प्रसाद तिवारी रसिक जी के लिखल तीन चार गो रचना

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हँ , हम बिहारी हईं

बुजुरूग के सेवक, असहाय के खेवक
मन के सच्चा, दिल के व्यापारी हईं ।।

सरस्वती के उपासक , कुशल प्रशासक
कर्तव्य परायण , कर्मठ कर्मचारी हईं ।।

सादा जीवन, उच्च विचार
सभके संग उत्तम बेवहार
भाईचारा प्रेम भाव ,शान्ति के पुजारी हईं ।।

गंगा के गोद में मोद हम मनाइले
धर्म के सार संस्कार से बताइले
गौतम के भिक्षा पात्र, दुर्गा के दुधारी हईं ।।

कलम के कुदारी से मेल हम कराइले
अंतरिख में उपग्रह खेल में भेजाइले
हरीशचंद्र के सत्य , मोरध्वज के आरी हईं ।।

देश के सेवक सरहद के चौकीदार
दुसमन से होखेला रोज आर पार
गोला के गरज , मिसाइल अति भारी हईं ।।

गौरैया

फुदुकत अइह अँगनवा गौरैया ।
खोजेला रोज ललनवा गौरैया ।।

टहकत ठोर बिचे चारा चुगइह
पाँखिल बुतरुअन के उड़ल सिखइह
चढ़ि-चढ़ि छप्पर छाजनवा गौरैया ।।

चाउरि-दाना चबेना छिंटाइल,
धान नवान्न के चोटी टँगाइल
बबुओ कुलांचे अँगनवा गौरैया ।।

पानी कटोरी पलानी के तरे
धूपिल दिनवा में पाँख जनि जरे
तलफे न पियसल परनवा गौरैया ।।

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दिल के दरदिया छुपावल ना जाला
सोझिया के कबहूँ सतावल ना जाला

पगरी के पहचान पनही ना लीही
भोला भरोसे जहर केहू पीही ?
सीना से सभके सटावल ना जाला ।।

गोली से अधिका सतावेले बोली
लागे पंचाली के जइसे ठिठोली
माटी के गगरी भिड़ावल ना जाला ।।

खेती से झरङा उखाड़ल जरूरी
सीमा पर दुश्मन संघारल जरूरी
उचरूंग के कबहूँ रिगावल ना जाला।।

भोजपुरी हऽ

हिम्मति क सोत हवें आँखिन के जोत हवें
होखे ना अलोत कबो भाषा भोजपुरी ह ।

खरा-खरी बात करे मीत से ना घात करे
प्रीति रीति कटहर लासा भोजपुरी ह ।

पारखी पसीना बदे हीरा ह हसीना बदे
टेढ़िया का सोझे दुरवासा भोजपुरी ह ।

राम लेखा सिया पिया माधो राधिका के हिया
दुलही जिया के अभिलाषा भोजपुरी ह ।

बुद्ध महावीर धीर लोरिक अहीर बीर
गुरु दशमेश के दिलासा भोजपुरी ह ।

कन्हैया प्रसाद तिवारी रसिक जी
कन्हैया प्रसाद तिवारी रसिक जी

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