राम प्रकाश तिवारी जी के लिखल काँवर गीत जय भोले शंकर

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चढ़ते सावन लागे मनवा झुमे
जईसे झुमे बन में कवनो मोर
चल रे मन भोले के नगरीया
चढावल जाई गंगा जी के पनीया

भरी भरी गगरीया हो, बाबा के कपरीया
पान फुल भोला के निक ना लागे
मानस भोला खाई के गोला भंगीया

पेड़ा मिठाई शिवजी के मनही ना भावे
होले खुस बाबा जब चढे धतुर-अकवनीया
चल रे मन बाबा के नगरीया

त्रिशुलवे पर बा बाटे बसल काशी नगरीया
हो खुल जाले जहंवा सभ पाप के गठरीया
चल चल रे मन ओही बाबा के नगरीया

कहे अपना मनवा के बतीया
त कर जोड़ी पईयां परी करी ले विनितीया
सुनलीहीं बाबा ठेठबिहारी के हो अरजीया

सुख शांति होखे चंहु ओरिया
दुनिया में बजावे डंका राउर सभ भोजपुरीया
दिहीं ए बाबा अबकी इहे असीसीया

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