सरोज सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी लक्ष्मीनीया पतोह

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परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, रउवा सब के सोझा बा सरोज सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी लक्ष्मीनीया पतोह , पढ़ीं आ आपन राय जरूर दीं कि रउवा सरोज सिंह जी लिखल भोजपुरी कहानी ( Bhojpuri Kahani ) कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि एह कहानी के शेयर जरूर करी।

मुरारी के माई राते के खाइल बर्तन मांजे खातिर बइठल रही ताले बुढ़ियो अंगना मे हिलत डोलत आ गइली , आवते सवाल सवा लाख के … का हो मुरारी के माई तहार पतोहिया से काम- धाम ना करेले का हो …. सास होके बर्तन मांजत बाड़ू , पतोह पलंग तुरत बिया कवनो लाख दु लाख लेके आइल बिया का।

केहू से छिपल बा का ..पांच गो फूलहा त गिन के चढ़ल रहे। तु त झांपी सनेश केहू ना देखवले रहू लाजे… टोला परोसा त उहे नु देखेला तहार कोई कुछऊ ले लिहित का .. इहे कह देवेला आइले ना रहे।

ना सास आला ना पतोह आला, हमरा आज ले इयाद बा भोर नइखे पड़ल। तहरे लेखा सास त पतोह के मन बढ़वले बा ।

हमरो घरे दु जानी पतोह आइल बाड़ी, दुनो जानी के पानी पियवले रहेनी, बिना पूछले खोंख त देखलो खंदान के पाह
लगा देवेनी , क्षणे घड़ी मे …

बीड़ी धुंकत गइली , आ बोलत गइली भोरे से लेके दुपहिया ले कुल्ह गांव के खबर, केकरा घर मे का होता पता लगावल आ सांझ के दिया बाती के बेड़ा पहिले घरे – घरे बतावल उनकर सब काम से पहिला काम रहल ।

भोजपुरी कहानी लक्ष्मीनीया पतोह
भोजपुरी कहानी लक्ष्मीनीया पतोह

जब बुढ़ियो के बोलत – बोलत मुंह दुखा गइल त मुरारी के माई कहली कि देखी जी, हमार पतोह हमार बेटी हिय हम त बेटी बुझिला पतोहिया के …..

आन के धिया चाउर लेखा बिया जी … गील बनाई चाहे कांचे इ त रउआ हाथ मे बा, ओकरा सुख- दुख मे मिली सुख-दुख बांटी बबुआ मुरारी बहरा कमाए गइल बाड़न ..अबही हमार मुरारी इहे नु बिया।

आपन घर-परिवार बाप महतारी भाई बहिन सभे छोड़के आन घरे आइल बिया, आपन बने ओकरा के अपनाई प्यार – दुआर करी नेह स्नेह के बदरा से भिंजाई , दुत्कारी
जन ।

कुसुम अस गम-गम गमकाई , अंगना-दुआर बनी बाग बागवानी , मधु मिश्री अस मीठ बोली वातावरण मे संस्कार सदाबहार घोली ।

सरोज सिंह जी
सरोज सिंह जी

देह नेह नहवावत धोवावल सब करेले ऐकरा मे बेटा बेटी पतोह सखी सलेहर हमरा सब लउकेला जवन मन तवन जब मन करे तब देख ली, रात बिरात एक हांक मे एक
गोड़ प ठार….

हमार सोना चानी सब धन दौलत, किस्सा कहानी गंगा अस निर्मल पानी, सीता-गीता तीज त्यौहार, अंगना के तुलसी घर के शोभा हमार पतोह – हमार बेटी हमार धनलक्ष्मी ….. हमार धनलक्ष्मी…..

बुढ़ियो त खिस्स के मारे …. बीड़ी के धुंआ उड़ावत आसमान मे, जइसे कोईला आली इंजन, बुदबुदात अंगना से बहरी निकल गइली, बड़ा भइल बाड़ी पतोह आली इ आ इनकर पतोह …..

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