डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल कुछ भोजपुरी कविता

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लइकन सबके कविता पढ़ावल जरूरी बा

पथराइल आँखन में गंगा बहावल जरूरी बा
दिलन के दरार के दूरी मिटावल जरूरी बा I

परदा के पीछे बइठ के खेल रहल केहु खेल
ओकरा चेहरा से परदा हटावल जरूरी बा I

रोजे-रोज उछालल जाता नवका नवका नारा
नवका नरवन से दामन बचावल जरूरी बा I

निरदोसवन के खून बहल रोके के खातिर
बारूद के जंगल में आग लगावल जरूरी बा I

सूर के बाल्मीकि के आ तुलसी कबीरजी के
लइकन सबके कविता पढावल जरूरी बा I

भोजपुरी कविता बुझल चूल्हा के उपला प आग मिलल बा

हमरा मनवाँ के मांगल मुराद मिलल बा
दिल के गमला में हमरा गुलाब खिलल बा I

हमरा धड़कन के जेतना सवाल रहन सन
ओह सवालन के सुन्दर जबाब मिलल बा I

हमरा नयनन के दरपन में चाँद आ बसल
हमरा होंठन के सरगम शराब मिलल बा I

मन के बंजर बधार में बहार आ गइल
भरल फगुआ से सोगहग किताब मिलल बा I

जेठ जिनिगी में सावन के फूल खिल गइल
बुझल चूल्हा के उपला प आग मिलल बा I

जीवन पानी पानी

भीतर तक जाके घुसल बा
विष से बुझल तीर
टुअर बनके घुमत बाड़े
साधू सन्त फकीर I

उज्जरका कुरतावाला
बहुते उत्पात मचवले बा
थूक रहल बा सबके ऊपर
सबके नाच नचवले बा I

पसर रहल बा चारु देने
बारूदी बिषबेल
पर्दा के पीछे से केहू
खेल रहल बा खेल I

जंगल में गुलमोहर के
लाग गइल बा आग
मड़ई के ऊपर बैठल बा
आके करिया नाग I

कंठ नदी के सूख गइल बा
पोखर मांगे पानी
हवा हवा के निकल गइल बा
जीवन पानी पानी I

भोजपुरी कविता चैती जब भइल जवान

गुलमोहरी होंठवा वाली
चैती जब भइल जवान
इंद्रधनुष के मुँह लजाइल
फीका पूनम के चान I

भँवरी जइसन आँखन से
फूटे लागल बोल
थिरक-थिरक के नाचे लागल
फूल-कलि के गोल I

चैती के अंगड़ाई प
मोरवा भइल बिभोर
संझियाइल चेहरन के ऊपर
लगल लखाए भोर I

बीती ताहि बिसारी के
बोल उठल मिरदंग
जइसे थाप परल ढोलक प
थिरके लागल अंग I

भोजपुरी कविता एह अजदिया से बढ़िया गुलमिये रहे

एह अजदिया से बढ़िया गुलमिये रहे
बहुरुपियन से बढ़िया जुलुमिये रहे I

पेजर मोबइलवा के रोग बा धराइल
बाल-पेनवन से बढ़िया कलमिये रहे I

भुअरा सुगरवा के माँग बढ़ियाइल
डरगवन से बढ़िया चिलमिये रहे I

जेने देखिं ओनहीं बा माँस लदराइल
बरगरवन से बढ़िया ललमिये रहे I

कोटवा के चक्कर में बिगहा बिकाता
एह कोटवन से बढ़िया दलनिये रहे I

सबके महला के ऊपर दुमहला पिटाता
एह महलवन से बढ़िया पलनिये रहे I

डॉ. हरेश्वर राय

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