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Tag: विवेक सिंह जी

विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी भरम

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परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आयीं पढ़ल जाव विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी भरम (Bhojpuri Kahani), रउवा सब...

विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी हॉट कॉफ़ी

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विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी रफथरो

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विवेक सिंह जी के लिखल दू गो भोजपुरी रचना

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अनन्त : एगो हुँकार

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विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी परेम-दान

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विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कविता

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बसंत के नशा गजब के नशा छा गईल बा ! ई बसंत जहीया से आगईल बा !! !! आपन-मन-अपने अगराईल ! कबो बधार त कबो बगईचा घुम आईल...

विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी रसपान

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जिनिगी के सभसे मधुर इयाद साइद बचपने के होला। लरिकाईं के कुछ मीठ स्मृति के असर अइसन गहिरोर होला कि ताउम्र अदिमी ओकर अहसास...

विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी चौपाल

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चईत के महीना मे जब हर प्रकार के पेड़, पौधा के फूल, फल के अकार धरेला, तबे खेत से फसल कट के खलिहान के...

विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी रत्नसागर

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अइसन सायद केहु होइ जे अपना गाँव के याद ना करत होइ। चाहे उ देश मे हो या बिदेश में, हर इंसान के आपन...

विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी जुआठ

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जब कवनो गृहस्थ अपना कंधा पर गृहस्थी के जुआठ बांध के गृहस्थी के भार खिचेला, त उ गृहस्थ अपना-आप में एगो महान व्यक्ति के...

विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा रहमत के रमजान

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ज्येष्ठ के आधा महीना बीतला के बाद रमजान के पहिलका अज़ान भइल।अभी ब्रम्हबेला के सुरुआत होत रहे. सब कोई अपना अपना छत पे सुतल...

विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी बंसी के बगईचा

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आसमान के असमानी रंग पर मटिया रंग के गर्दा चढ़ गईल रहे। लागत रहे कि आज ही कालदेव आपन बरसो के भूख मिटावे खातिर...

विवेक सिंह जी के लिखल तीन जो भोजपुरी गीत

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बिरह के आग आस धरा के गईलअ सजना, अईलअ ना कबो पास मे! केतना सावन बित गईल, साजन तहरा याद मे! रोए चूरी कंगना, सुख गईल केशिया...

विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा ललका रंग

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फागुन के महीना मे चरो ओर उमंग के लहर दऊरे ला, हर कोई मस्ती के रंग मे रंगल नजर आवेला ! चाहे ऊ इंसान होखे...

विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कविता नारी सम्मान

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शक्ती के स्वरूप से, नारी के पत्वारी बा! एकरा के कमजोर मत समझअ, ई देश-दुनिय पे भारी बा! सब के हित मे सोचे, ई नारी के शुबिचारी बा! जे ममता...

विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी लघु कथा आश

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आश मनुष्य मनोवृती के अटूट शक्ती, जोन कबो आपन दम न तोडे ! आश ओह समय तक दिल मे होला. जब केहु आपन के...