तारकेश्वर राय जी के लिखल तीन गो भोजपुरी कविता

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भोजपुरी कविता फैसन के हावा

बहल बा अइसन, एगो पछिमा हावा |
फार के कपड़ा, पहिरल जाता नावा ||
कपड़ा पहिरल जाला, तन ढ़ाके के |
पहिरल जाता अब, तन झाके के ||

फइसन क अइसन, दौर बा आईल |
अंत: वस्त्र बा, अब ऊपर बहराइल ||
एके पहिनके, नवका इतराता |
ई सभ्यता देख के, मन घबड़ाता ||

साडी, ब्लाउज, घाघरा, अब के ओढ़नी ओढ़ता |
मोछ,मुरेठा,लुंगी, धोती, सब केहू इ छोड़ता ||
नवका पौध त, पच्छिमी फइसन से लवरेज बा |
भाषा देशी त सोहाते नइखे, कपड़ो से परहेज बा ||

खोंचा दाढ़ी, फाटल डेनिम में युवा लउकता |
देशी सभय्ता छोड़ के, बिदेशी भाषा में फउकता ||
हे बिघ्ना, फईसन क ई दौड़ कब रुकी ?
समय क फेर ह इ, केतना झुकल केतना झुकी ?

भोजपुरी कविता बंटवारा

पढ़, लिख, शहर में, तू भईल सीयान |
कहतार
दू तलवार ना रही , एक ही मियान ||
दे द भइया हमरा के, बखरा हमार |
एतने दिन क साथ रहे, हमार आ तोहार ||

एके बान माई, बाबू, ऐके बा दुवारी |
एक ही देवता के, बानी जा पुजारी ||
एके रे माई के पियली जा दुधवा |
बाबू कह पाजी हमके, तोहके सोझवा ||

बात हमार मानल, मचाव मत तबाही |
होखे के अलगा, मन देता कइसे गवाही ?
बंट जइहे पवनी, पजहर, बरम आ देवता |
कइसे बटाई हित, नात आ नेवता ?

कइसे बटाई भाई, माई के पियार ?
बखरा लगइब कइसे, बाबू के दुलार ?
केकरा संगे रहिह बाबू, कहाँ रही माई ?
एके अंगना में, देवाल पड़ जाई ?

अंगना के निबिया, ख़तम होइ जाई |
खेत, खरिहान बटा जाई भाई ||
चूल्हा जरी दू गो, दू गो चुहानी |
बाँट जाई सब कुछ, पोश आ परानी ||

पूरी, सोहारी, पकवान जहिया पाकी |
बचवा हमार कवनो, चोहानी तोहरा झांकी ||
लगे आके हमरा , दुःख जब बांची |
कुछु नाही हमरा के, देहली ह चाची ||

सुन के रोवाई, तोहरा कइसे घोटाई |
दुःख बा करम में, सुख कइसे भेटाइ ||
जवन लिखल भाग में, उहे होइ भाई |
बिघना के लेख कबो, मेंटवले ना मिटाई |

भोजपुरी कविता गउवाँ गांव, कहाँ बुझाता ?

कहाँ देखाई होला कइसन फुलहि थरिया,
माटी क घर आ खपड़ा नरिया
कहाँ भुलाइल ढेका जाँत
भुइयां बइठल सबहार पांत

अनाज कोठिला में कहाँ देखाई
कुंडा होला कइसन, कइसे बतायीं
नइखे लउकत,
कपारे पगड़ी, अंगने ओखरी
कोने मुसर, ताल आ पोखरी

कहाँ लउकत बा बैलन के जोड़ी
गइल समय के कइसे मोड़ी
का कहाला नाधा, जोता
कइसन होला रेड़, मोथा

हर, जुआठ अब कहाँ भुलाइल
पैना, परिहथ कहाँ फेकाइल
कइसे समझाई पोरसा गहीर
नाम रखात रहे लाखन, जहीर

कोल्हू में अब कहाँ पेराता
राखी घुरा कहाँ फेकाता
बर्रे कोदो कहाँ बा लउकत
बड़ छोट क कहाँ मरअउत

कहाँ लउकत बा गुल्ली डंडा
के पहीरता बा करधन, गंडा
कहाँ देखाई किरिच कंडा
बिगहन खेत अब भईल मंडा

के खेलता बा ओल्हा पाती
कहनी कहाँ सुनत बा नाती
उढा अब त, कहाँ कूदाता
गउवाँ गांव, कहाँ बुझाता ?

केतना बदलल केतना बदली
दूर बा आपन, पराया बगली
शहर धसेरला बा, गांव के
पाछा पड़ल बा, झूठे नाँव के

कहाँ भूलाईल बुढ़ऊ क हुक्का
अब त गाँवे गावं चुड़ूका
आव हो चंदा माँ आव हो अजोरिया
लमटेन के जुग गइल गांव गांव बिजुरिया

तारकेश्वर राय
ग्राम + पोस्ट : सोनहरियाँ, भुवालचक्क
गाजीपुर, उत्तरप्रदेश

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