विमल कुमार जी के कुछ भोजपुरी रचना

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काँवर गीत के रस लिहीं सभे, अउर जरूर बताइब जा की लिखे आइल बा की ना

काँवर गीत

सईंया काँवर कीन$ चल$ देवघर घुमि आईं जा
बाबा भोला के चरण चलीं चूमि आईं जा।।टेक।।

काँवर सजावेके म्यूजिक बजावेके
भजन के संगे संगे झुमें के झुमावेके
नाचत गावत बोलबम झुमि आईं जा
भोला के चरण चलीं—————-

बुढ़ा बुढ़ी एक संग में बाड़े लो उमंग में
नया पुरान सभे रंगाइल एके रंग में
ओही रंगवा में हमनियों के घुलि जाईं जा
भोला के चरण चलीं—————–

लइका लइकी सभे जयकारा लगावता
करे भुईयाँ परी केहु डाक बन धावता
शिवमय भईल देवघर अब ढुलि आईं जा
भोला के चरण चलीं——————

कबो तेज बुनीं कबो घाम सतावता
तबो लोग के जोश में कमी ना आवता
गंगा जल फूल पति चढ़ा झुमि आईं जा
भोला के चरण चलीं——————-

दुःख दलिदर सभ मिट जाई भूख
परम आनंद मिली होई खुब सूख
मन के पाप बिकार झोंक झुमि आईं जा
भोला के चरण चलीं——————-

एगो पराथना

समान वेतन दिवा दीं आनन फानन में
बाबा भोले किरिपा देखा दीं सावन में।

ढोलक डमरू बाजे अउरी बाजे तासा
नियोजित के मन में बड़ुए जागल आसा
लाके खुशी पटकीं इनिका आंगन में
बाबा भोले किरिपा——————-

केहु मेवा मिठाई केहु खाला दही
भूखे राख हमनीं,मत बनीं निरमोही
मंतर जलदी फूंकीं जज के कानन में
बाबा भोले किरिपा——————–

कतना झुल गइले फाँसी अउ खइले जहर
अन्हरी बहिरी सरकार के ना आवे नजर
रवो तड़पइनीं राखीं अब ले ध्यानन में
बाबा भोले किरिपा——————–

सुनवाई चलतरुए आगे डेट बढ़तरुए
सुनि सुनि के गाँव टोला भी जरतरुए
बुद्धि भर दिहीं मुरूखन गँवारन में
बाबा भोले किरिपा——————-

समान काम के वेतन समान मिल जाई
पिछलो पीढ़ी के भाग तकदीर खुल जाई
खटिहें सं शुरूए से वेतनमानन में
बाबा भोले किरिपा——————-

गजल

हम हहरतानी भगवन होश दे दीं,
सभ कुछ ले लीं बाकी संतोष दे दीं।

खाक छानत फिरीं भईनीं फफिहरा,
जीव में जीव परी रवा आगोश दे दीं।

रहत बानीं बड़ी हम बेचैनी में,
कवनों करीं उपाय नेक जोश दे दीं।

सभे लउकत बड़ुए अब चोरे चाईं ,
हमके एह से बचा के परितोष दे दीं।

धन बढ़े त लोग के मन घटता,
अइसन हमरा से होखे त दोष दे दीं।

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