अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा चमकी

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परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, रउवा सब के सोझा बा अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा चमकी, पढ़ीं आ आपन राय जरूर दीं कि रउवा अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी लिखल भोजपुरी लघुकथा (Bhojpuri laghu katha ) कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि एह लघुकथा के शेयर जरूर करी।

आंख मुड़ी में धंसल, गाल मूंह में, आ पेट पीठ में समाइल मुनिया के माई ओकरा के कोरा में ले के दू तीन गो अस्पताल छान मरली। बाकिर सगरी जगेह से एक्के गो जवाब मिलल कि अस्पताल में जगेह खाली नइखे।

दौड़त दौड़त आखिर एगो अस्पताल के गेटे पर मुनिया के परान निकल गईल। मरला के बाद भी मुनिया आपन माई के ऐकटक ऐसे निहारत रहे जैसे कहत रहे की कौनो बात ना माई, तू त हर जतन कैलू बाकिर ई सरकार आ समाज संवेदना शुन्य हो गईल बा, तू का कर सक$ ताडू माई !

हार पाछ के मुनिया के माई, मुनिया के मरल लास लेके घरे वापस आ गईली।

अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी
अब्दुल ग़फ़्फ़ार जी

सारा सहर में हंगामा मचल रहे। कहीं स्वास्थ्य मंत्री आ मुख्यमंत्री के बोलावे के मांग होत रहे त कहीं प्रधानमंत्री के बोलावे के हल्ला मचल रहे। ई सबसे बेसुध मुनिया के माई मुनिया के लास लेके जब घरे पहुंचली त$ रोअन पीटन पड़ गईल।

गांव में आठ दिन में आठ गो लइका लइकनी काल के गाल में समा गईल रहे सन। सारा गाँव के लोग मुखिया जी के घेराइ कइले रहे।

बटेसर – का मुखिया जी! प्रधानमंत्री आ मुख्यमंत्री के सभा में भीड़ लगावे खातिर त$ हमनी के ले जानी। एह बेरा हमनी के बचवन के जान सांसत में बा, डाक्टर लोग से बेमारी नइखे पकड़ात। ओकनी के बचावे खातिर अब सरकार लोगिन के बोलाइं महराज!

मुखिया जी – अरे बुड़बक,डाक्टर लोग त$ आपन काम करते नु बा। सरकार लोग के त$ सगरी देस देखे के बा। इहाँ लास गिने आई लोग त काम कइसे चली !
राम खेलावन – त$ चुनव्वा के बेरा काहे आवे ला लोग महाराज !

मुखिया जी – अब कौनो चुनाव बा का? ओह बेरा ओह लोग के गरज रहेला त$ आवे ला लोग। चुनाव के पहिले तोहनी के राजा, आ चुनाव बाद हमनी के राजा। का समझल$ लोगिन!

बटेसर – जे जीत गईल से राजा हो गईल, ई बात त$ समझ में आव$ ता, बाकिर जे हार गईल ऊहो त$ मूंह देखावे नइखे आवत महाराज !

मुखिया जी – दुर बुड़बक, नेता माने नेता। चाहे सत्ता पक्ष के होखे चाहे विपक्ष के , सभे बराबर होला। आ – कौनो लोग के लइका लइकी थोड़े मर$ ता जे धावे लोग। जेकरा मरे के बा, त$ मरबे नु करी। केहू भगवान थोड़े ह$ जे मरे वालन के जिनगी बचा ली!

अबहिन ई बतकही होते रहे तब्बे बटेसर के बड़की बेटी दौड़त आइल – बाबू, जल्दी चल$ बबलुआ के देह अईंठाइल जाता, आंख उलिट गईल बा, आ मूंह से गाज फेंक$ ता।

बटेसर आ राम खेलावन घर के ओर दौड़ल लोग आ मुखिया जी अस्पताल ले जाए खातिर आपन बुलेरो निकाले लगलन।

मुखिया जी, कौनो तरे बबलुआ के सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिहलन आ ंहा के हालत देख के बटेसर से कहलन – बटेसर, अब हम चल$ तानी। बाप रे बाप, हई सैकड़ों लइकन के नाक में पाइप लगले बा, सुई दवाई होते बा, तब्बो ताबड़तोड़ लइका मर$ ताने सन।

हमसे बरदास नइखे होत। चक्कर आव$ ता। बुझाता अब्बे गिर जाइब। हम चल$ तानी, अब तु संभाल$ आपन लइका के।

एतना कहके मुखिया जी आपन बुलेरो में जाके बइठ गइलन आ बटेसर बेड पर उल्टा सांस गिनत आपन बचवा के मूंह निहारे लगलन।

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