डॉ. हरेश्वर राय जी के लिखल कुछ भोजपुरी रचना

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रंगदार हो गइल

रंगदार हो गइल
मोरा गाँव के लल्लू I

ठेलठाल के इंटर कइलस
बीए हो गइल फेल,
रमकलिया के रेप केस में
भोगलस कुछ दिन जेल,

असरदार हो गइल
मोरा गाँव के लल्लू I

खादी के कुरूता पयजामा
माथे पगड़ी लाल,
मुँह में पान गिलौरी दबले
चले गजब के चाल,

ठेकेदार हो गइल
मोरा गाँव के लल्लू I

पंचायत चुनाव में
कइलस नव परपंच,
समरसता में आग लगवलस
चुनल गइल सरपंच,

सरकार हो गइल
मोरा गाँव के लल्लू I

गजब हो गइल

माई घरे तोरा कहयिनी
सासु घरे रउरा
गजब हो गइल
भइनी गउरी से गउरा
गजब हो गइल।

कनियाँ बनके ससुरा अइनी
सासु खूब खिअवली
पुहुट बनावे खातिर हमके
खुबे दूध पियवली
देखते देखत हो गइनी हम
गरइ से सउरा
गजब हो गइल।

चूल्हा मिलल चउका मिलल
मिलल चाभी ताला
रिन करज के बोझा मिलल
मिलल छान्ही के जाला
कुछे दिन में हो गइनी हम
कठेला से मऊरा
गजब हो गइल।

मुँह सुखाइल बार झुराइल
आँख काबेरा
एह जिनिगी के गजब खेल बा
समझ ना आइल राम
समय बनवलस हमके भइया
दउरी से दउरा
गजब हो गइल।

गदहा सब घोड़ा भइलन स

बिल्ली सब दिल्ली गइली सन
कुक्कुर काशी धाम
सिरी राम सिरी राम I

गदहा सब घोड़ा भइलन स
गटक गटक के जाम
सिरी राम सिरी राम I

बम्बे में छुछुनर छ्छुआए
गोर बनाके चाम
सिरी राम सिरी राम I

जटवा जेकर जतने लमहर
ओते हँसोथे दाम
सिरी राम सिरी राम I

कुरुता के बगली मुखिया के
होत जातिया लाम
सिरी राम सिरी राम I

जे कबहूँ ना आम लगावल
चाभे उहे आम
सिरी राम सिरी राम I

हद क दिहनी जी

पतझड़ पइसल आके हमनी के बगानी में
चानी काट तानी रउरा राजधानी में I

फूलन के वर्षा में रउरा ओने भिंगत बानी
बज्जर एने गिरत खेत – खरिहानी में I

साठा में भी पाठा बनके जानी उड़त बानी
घुनवा लागत बड़ुए हमनी के जवानी में I

छानत-घोंटत बानी रउरा मेवा और मलाइ
खलिहा तसला एने ढनकता चुहानी में I

हमनी के बोली भाषा के कइनी भूँसी-भूँसी
रउरा बोलत बानी खाली अब जापानी में I

आईं अबकी राजाजानी आँख बिछौले बानी जा
होई चुकता कुल्ह हिसाब अगुआनी में I

डॉ. हरेश्वर राय जी
डॉ. हरेश्वर राय जी

डॉ. हरेश्वर राय, सतना, मध्य प्रदेश

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