जिऊतिया | आकृति विज्ञा

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खपड़हवा घरे के अरगनि बतावति रहे कि अम्मा ( ईया) के हाली जिऊतिया भूखल रहली। सब माई धिया पूतवन के जिऊतिया के बधाई बा।
भिनसहरवें सगरी बदे माई जगावेली स । भल हमनो जस जस बड़वर ( देहीं से उमिर से ) हो तानी जां ओईसे ओईसे एक्को बतियो न तर डालेनी सन।
हमें होस परत बा जे चारो भाई बहिन जाईं सरधा के अम्मा ( पूने वाली ) के बोलावे बड़का बा जी के घर के पिछवारे से होत के छोटकी देवि फांगि के जाईं सन आ ओहीं से कंपटीशन होखे कि केकर जिऊतिहईया तागा सबसे सुन्नर रही।

सरधा के अम्मा आजिज आ जात रहली हम्मन के झगड़ा से तब्बो बेचारी कब्बो आगे थरिया में रक्खल खैका छोड़ि के धावत हमन के संगे आवें।
उनकर चंगेरी हम्मन भाई बहिन टांगि लेईं स।

घरे अवते ” अरे मैडम सुभारम रउएं घर से होला देखीं न राऊर आ माट साहेब के गोदी खेल खालि के गांव भर के लईके फस्ट डीविजन पास होताने सन।जिऊतिया माई से पर्थना रही सब दुलहिन लईके सुखी रहें जश कमा नाव करें।”

ऊहो दिन रहे कि कवनो तिऊहार के पहिला असीस चूड़िहाईन आ बिसरतीन स देत रही।

सरधा के अम्मा के बाद खाझा के अम्मा के बोलाहटि में भीड़ीं जा । मिआना टोला से उनके बोलावति बेरी रियासत चाचा के घरे सबनम से बतिअईले के चक्कर में हरदम देर हो जात रहे।

कोहांर ,कहांर के त सरदार जी ( फुल्चन) चाचा देखि लेत रहे।

नाऊनि के बोलावे में ढेर दिक्कति हो जा । कहेले नु ” नाऊनि के गोड़े चक्कर होला।”

आकृति विज्ञा 'अर्पण' जी
आकृति विज्ञा ‘अर्पण’ जी

बैना बाटत के ही भेटात रहें। देखिं जा तर तिऊहार में नाऊनि, कहाईन, महरी, कोहाईन, धोबिन, सरदराईन सबके कपड़ा चूड़ी घरवें खरदात रहे।
आजी ( पापा के ईया) एह बात के सख्त नियम बना के सरगे गईली फिर त ई घरके परथा हो गईल।

त बात ई होत रहे कि हम्मन एक्को बाति तर न डारेनी।

ई बात भी सौ आना तंय हे कि इया के अचानक जईले के बाद से हर जिऊतिया माई के आंखि डबकि जाला।

जिऊतिया के गांठि देत बेरी माई के ढेर अंखरला जे ईया रहती ते बेर बेर कहती जाये द ए धिया तूहसे न होई द हमहीं गंछिया दें तानी।

सरगी के दही चूरा , अगले दिन के खीर ,गटई में जिऊतिया ऊहे बा बकि अब माई के खीसा सुनवईया सन अईसन अपडेट भईने कि ई खीसा आनलाईन ,किताब आ मंच तक सिमिट रहल बा।

लोकगीत टीवी में गावे वाले सन के घरे बिआह सादी तीज जिऊतिआ में संझा पराति न सुनाला ओईसहीं हमनी के जीवन के पहिला स्टोरीटेलर ईया माई के आडियंस माइग्रेट क गईले सन ।

अब ई तर तिऊहार के उमिर हमनी के हाथे बा। पैमरी ईस्कूलिया भी अगर कहि पावति त कहबे करति ” ऊहो दिन रहल जब कुआंर बिहऊती सब लईका लईकी सन बरियारे के झारि खोजत एने ओने दिखत रहें आ अब महतारी अकेल आवेली सन मिलि जा त ठीक ना ते कवनो झारी के बरियार बूझि भेटिं के चल देली सन।

बाकि हँ बतिया ऊहे कहेली सन ” ए अरियार का बरियार ….जाके रामचन्नर जी से कहि दीह कि फलाने क माई जूतिया भूखल रहली।”

पंसरिया नौका में पुरनका चाउर मेरा के अजुओ खूब बेचिहे स।

दही घरे घरे मिली , जेकरा घरे जिऊतिया न ऊठल होई ऊहो हिक्क भर जोरन मांगि के भाते खा ली।
चाऊर कूटे वालन के भी दिन चटकल होई।

बिसरथी लेटेस्ट माडल के चूड़ी ले आईलि बा। जिऊतिअहिया तागा अब नौरंगी हो रहलि बा ।

बस माई सन एह बाति के लेके तनि कुढ़ेली के लईकन के इंटरेस्ट बदल गईल त अईसन बदलल कि माई आउटडेटेड लगे लगलि।
लईका सन अपडेटेड हो गईने लेकिन माई निर्जले भूखेले भले पांव के गठिया थका दे ।

भल हमनी अभाग कि सुभाग जे जिऊतिया सिऊतिया के गाढ़ रूप के गवाह लगभग अंतिम पीढ़ी बानी जां सभे जहां ईया हाथे माई सरगी लेहलसि , ईया के हाथे बिच्छल जिउतिया पहिनी जा सन।

भलभे ईयूट्यूब टीवी मंच पे लोक गीत बरसिहें जां बाकि मन सोच रहल बा कि ई अलगे बिकास के पैटर्न सेट होत बा कि हमनी ओह रेयर सुनवईयन के अंग बानी जां जहां आज भी ईया संगे माई बईठि के गावेले जां

“ए सासू नेछोहें जे गुन के अरजिया
जे सरगी ऊठाएब बरत सुफल होईहे नु।”

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