विमल कुमार जी के लिखल माई मोम होली

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अपने चाहे अन्हारा रहस,
सभका के अंजोर करऽली।
आपन तन गला गला के,
सभकर दुख हरऽली ।

माई ममता के मूरत होली ,
ना जाने कवना माटी से बनऽली।।

जल जल के गल गल के,
ममता मोह में सम्भरऽली।
पेआर भरल मीठी बोली सुन,
लमी लमी डेग भरऽली ।।

माई छायादार फेंड़ होली ,
धूल धूप पानी सभ सहऽली।
सभका अंचरा के छंहिरा दे,
मन ही मन खूब हरषऽली।

माई ममता के मूरत होली,
ना जाने कवना माटी से बनऽली।।

बड़ से बड़ दुख छिपा जाली,
तनिको ना कँहरली ।
परिवार प आइल कवनों दुख त,
माई जागिए के भोर करली।

मोमबत्ती जइसन गलि गलि के,
भर घर के अंजोर से भरऽली।
माई ममता के मूरत होली ,
ना जाने कवना माटी से बनऽली।
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विमल कुमार
ग्राम +पोस्ट- जमुआँव
थाना -पीरो, भोजपुर

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