सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’ जी के लिखल १६ गो रोपनी के गीत

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१६ गो रोपनी के गीत सिपाही सिंह श्रीमंत जी के लिखल किताब ‘थरूहट के लोक गीत’ से लिहल गइल बा। किताब में रोपनी के गीत भावार्थ के साथे बा बाकिर येहजा खाली संकलन कइल गइल बा।

हम त अभागिन ए नारी

हम त अभागिन ए नारी, हाँ रे पियवा देलीं हम गारी,
रुसली गे पियवा चलेला बिदेसवा हो राम, रुसली गे पियवा.।।१।।
जवने बने सिंकियो ना डोले, तवने बनवाँ पियवा लेले बासे,
रुसली गे पियवा चलेला बिदेसवा हो राम, रुसली गे पियवा.।।२।।
हो करेला रोजीगरवा हो राम, रुसली गे पियवा।।३।।
जवने बन बाघवा जे गूँजे, तवने बने पियवा लेले बासे,
चलेले बिदेसवा हो राम।
करेला रोजीगरवा हो राम, रुसलो नायकवा।।४।।

उत्तर बनउआ से अइले बारी बनिजरवा

उत्तर बनउआ से अइले बारी बनिजरवा, सखि हो, आइहो रामा,
ए बर-तर छानेले गे दोकनिया, आइहो रामा बर-तर।।१।।
अपने मन्दिल से निकले रे सँवरिया, सखि हो गे, कहु-कहु गे बनियाँ,
आइहो रामा, जीरावा गँगनवा, कहु-कहु हो बनिया।।२।।
तोहरा से सँवरो हे नाहीं पटिहें, सखि हो, हो गे भेजी देहु
आइहो हो गे भेजी देहु अपने रे बलमुआ।।३।।
हमरो बलमुआ रे लरिका रे नादानवाँ, सखि हो, हो गे, नाहीं जनिहें मोले,
आइहो रामा, जीरावा रे कंगनवाँ, सखि हो, हो गे, नाहीं जनिहें मोले।।४।।
हाँ रे, कइ लाख बनियाँ रे जीरावा-कंगनवा, कहु बनियाँ रे,
आहो रामा, कंगना के मोलवा, कहु बनियाँ हे।।५।।
हाँ रे, एक लाख सँवरो हो, जीरावा रे कंगनवा,
आइहो रामा, दुइ लाख आइहो हो गे तोहरो रे सुरतिया।।६।।
अइसन बोली तूहूँ जनि बोलिहे बनियाँ, अइहो हरिया रे ठोकइबों,
आइहो, हो गे, हरिया ठोकले तोर जीव जाई।।७।।

सखि रे, एकले तिरियवा बिरीछे भइले ठाढ़

सखि रे, एकले तिरियवा बिरीछे भइले ठाढ़, पिया पंथ हेरि-हेरि हो जाय।
सखिया हो मोरे, बालम हमरो बिदेसवा गइले ना।।१
सखि रे, डँसल सेजिया रे भेयावन, पउवा-पासी लागी गइले घूने,
सखिया रे मोरे, बालम हमरो बिदेसवा गइले ना।।२।।
सखि रे, पानवा भुराइ गइले ना, हाँ रे खैर-सोपरिया लागी गइले घूने,
सखिया हो मोरे, बालम महरो बिदेसवा गइले ना।।३।।

लाल गिरिधर बाग लगायो

लाल गिरिधर बाग लगायो, प्रीतम पोखरा खनायो
हाँ रे, बाग भीतरे मोर बोले, दादुर शब्द सुनाय हे।।१।।
मासु हे, दुख कासे कहों, राउर बेटा परदेस हे।
खरच माँगत तड़प बोले, बोलत बिरहा बिरोग हे।।२।।
राजा ना बाँ कटाई देबे, रानी ना मन्दिल छवाई हे।
हाँ रे, मन्दिल भीतर सासु सोवे, बहुअर बेनिया डोलाई हे।।३।।
अमुवा पाकल, जमुना पाकल, पाकल बन के खजूर हे,
कुस बिरिदावन दाख पाके, आ मुरुख पियवा विदेस हे।।४।।

सखि रे, साँप छोड़ले साँप-केंचुल हे

सखि रे, साँप छोड़ले साँप-केंचुल हे,
सखि रे, ओइसने छोड़ले पिया मोर, भँवरवा विमुख भइले रे।।१।।
बाँस छोड़ले बाँस-कोंपल,
सखि रे, अइसने छोड़ले पियवा मोर, भँवरवा विमुख भइले रे।।२।।

होत पराते सखि आँगन बहरिहे

होत पराते सखि आँगन बहरिहे, घूरवा लगइहे बड़ी दूर हे।
पानी भरी थलथरी में धरिहे, जनि घरइहे फूहरी नाँव हे।।१।।
होत पराते सखि पनिया जे भरिहे, घूँघट त लीहे काढ़ि हे।
परेया पुरुख देखि पाँजर जानि दबिहे, कि जनि धरइहे बेसवा नाँव रे।।२।।
एतने बचनिया ए सखि।
गाई के गोबर पियरा माटी, अँगना दहादही होइहें।
बूझि-समुझि के नून लगइहे, कि नाहीं तीत, नाहीं मधुर हे।।३।।
एतने बचनिया ए सखि।

हाँ रे, राजा जनक जग ठानेलें ए

हाँ रे, राजा जनक जग ठानेलें ए, अब सखि धेनखा दिहले ओठंगाय,
सखि सिया-वर ठानेले ए।।१।।
हाँ रे, सीता सुभउवा कारन आइल हे, देखन आइल हे,
पृथिवी कोई नाहीं वीर, धेनुख नाहीं टूटल हे।।२।।
हाँ रे, सीता सुभाव कारन आइल, देखन आइल हे,
देखन राम भगवान, जनकपुर आइल हे।।३।।
हाँ रे, बड़ी-बड़ी भूप वीर सब आइल हे, देखन आइल हे,
पृथिवी में कोई नाहीं वीर, धेनुख नाहीं टूटला हे।।४।।
हाँ रे, बायें जे बइठल लछुमन, दुनु कर जोरले हे,
अब सखि हुकुम पइतीं भगवान, धेनुख घइ तूरब हे।।५।।
हाँ रे, बड़ी-बड़ी भूप वीर आइल हे, आहे अब सखि,
बइठेले सभवा लजाय, सिया-वर ठानेलें ए।।६।।
अंगुठा के बल देइ धेनुखा उठावे लाए, अब सखि,
धेनुखा भइले नवखंड, अब सखि मेदिनी घहराइल हे।।७।।
कि अब सखि, शिवजी भइले अगुआन, गोपीनी दल साजे लाये,
कि अब सखि, सबद भइले परशुराम, गोपीनी दल साजे लाये।।८।।

पुरुवा जे बहे पछेआ बेआरे

पुरुवा जे बहे पछेआ बेआरे, हो रामा, आरि हो, नइया रे मोरा।
देबउ रे मलाहवा हाथ दुनु माठवा, आरि हो,
नइया मोरा हेलावहु पारे, हो रामा, आरि हो, नइया हो मोरा।।१।।
देबउ रे मलाहवा काने दुनु सोनवा, हो रामा, आरि हो,
नइया हेलाइ देहु पारे, हो रामा, आरि हो, नइया हेलावहु पारे।।२।।
देबउ रे मलाहवा हाथ जोगे छड़िया, हो रामा, आरि हो नइया हो मोरा,
हेलाइ देहु पारे, हो रामा, नइया हो मोरा।।३।।
कवने बने केसरी रे कुसुमी, आइ हो रामा, केसरी रे कुसुमिया,
राम आइहो कवने रे बने, आइहो रामा, ननदी के हो भइयवा,
आइहो रामा कवने रे बने।।४।।
कूर-खेत उपजे रामा केसरी रे कुसुमिया, आइहो रामा केसरी रे कुसुमिया,
आइहो रामा ससुरहिं कोखी आइहो रामा, ननदी के भइयवा,
रामा आइहो रामा, ससुरहिं कोखी।।५।।
जाही दिन ननदी के भइयवा छुवले रे लिलारवा,
आइहो रामा, दिहले रे सेनुरवा, आइहो रामा, ताही रे दिनवाँ,
आइहो रामा, छूटले नइहरवा, आइहो रामा, ताही ऐ दिनवाँ।।६।।
भवजल नदिया अगम बहे रे धारवा,
आइहो कइसे के उतरब पारवा, आइहो रामा, उतरब हो पारवा,
आइहो राम कवने हो विधि।।७।।
सिंकियन चीरी-चीरी आइहो रामा, बान्हबें में बेरवा,
आइहो रामा, बेरवा हो चढ़ि उतरब हो पारवा,
बेरवा हो चढ़ि।।८।।
टूटी जइहें सिंकिया, आइहो रामा, जर जइहें बन्हवा,
आइहो रामा, डूबी रे जइहें, आइहो रामा, बीचे मझधरवा,
आइहो रामा, बीचे मझधारवा, आइहो रामा,।।९।।

तिरहुत मइया रामा, मोरंग देसवा ससुरा

तिरहुत मइया रामा, मोरंग देसवा ससुरा, मायापुरवा नगरी,
से हो बसेले बड़ी दूर। भायापुरवा नगरी।।१।।
मररह रे बभना-हजमा तोर जेठ पूतवा, अइसन वर खोजलो में लरिका-नादाने।
अस वर खोजलो में लरिका-नादाने।।२।।
बेचबों चूरापरी, किनबों धेनुगइया, हो रामा, दूधवा पिआई करबों सेआने।
दूधवा पिआई-पिआई के करबों सेआने।।३।।
अंगुरी धराई पियवा के ले गइलों बाजारे, आहो दइया, पूछेला जे हटिया के लोग
आहो दइया, के हउवेंई तोहारे।।४।।
आहो दइया, नइहरे के छोटे भाई, ससुरा के छोटे देवरा।
आहों दइया, सामी त हउवें हमारे, आहो दइया सामी त हउवें हमारे।।५।।
देखिले विदापति सुनहू वृजनारी, धीर धरहू राधे, मिलिहें मुरारि।।६।।

हाँ रे, पहिरेली झीन कापड़

हाँ रे, पहिरेली झीन कापड़, सिर पर मटुकिया, आरी हो सिर पर मटुकिया,
दहिया बेचे चलली ना पतरी तिरियवा, दहिया बेचे चलली ना।।१।।
हाँ रे, डगरे बुलिय-बुलि हाँक पारे गोरिया, दहिया कीनी लेहु ना,
हाँ रे, आहो बाबू-भइया, दहिया कीनि लेहु ना।।२।।
हाँ रे, घोड़वा चढ़ल अइले राजा के कुँअरवा, अहिरिन कहु-कहु ना,
अपनो दहिया के मोलवा, अहिरिन कहु-कहु ना।।३।।
हाँ रे, अंगिया के पातर गोरिया मने मुसुकाले, आहे बिहँसि के बोले ना,
बाबू केतना दही चाहीले, विहँसी के बोले ना।।४।।
हाँ रे, दहिया ले मीठे सँवरो तोहरो रे बचनिया, हाँ रे तोहरो रे सुरतिया,
हाँ रे, कहु-कहु ना अपना सुरती के मोलवा, सँवरो कहु-कहु ना।।५।।
हाँ रे, हमरो सुरतिया कुँअर बारे अनमोलवा, दहिए कीनि लेहु ना,
आहे राजा के कुँअरवा, दहिए कीनि लेहु ना।।६।।
एतना बचनिया सनतु घोड़वा से उतरले, अब घइ लिहले ना,
कुँअर संवरो के अँचरवा, कुँअर घइ लिहले ना।।७।।
छोडू-छोडू आहे कुँअर हमरो अँचरवा, आहे उधार होइहें ना,
हमरो नये रंग बेदनवा, मोर उधार होइहै ना।।८।।
कोरवा उठाइ कुँवर घोड़वे चढ़वले, आहे चलिए भइले ना,
कुँअर अपनी मन्दिलिया रामा, चलिए भइले ना।।९।।
कोरवे बइठल हँसि के बोले बारी घनिया, आहे सुनि लेहु ना,
कुँअर हमरो बचनिया, से सुनि लेहु ना।।१0।।
हाँ रे, रहिये-ही-बटिये कुँअरा लगले सनेहिया, आहो बिसरि हो जइहें ना,
कुँअर हमरो सुरतिया, तोरा बिसरि हो जइहें ना।।११।।
हाँ रे, घनिया मनावे कुँअर, लट सुघरावे, हँसि-हँसि के बोले ना,
आहे सुनु बारी घनिया, हँसि-हँसि के बोले ना।।१२।।
हाँ रे, हमरो परानवा घनिया तोहरे में बसलें, आहे बिसरिहें कइसे ना,
आहे प्रान प्यारी धनिया, बिसरिहें कइसे ना।।१३।।

छोटी-मोटी नगरी हे बसेले बड़ी दूर

छोटी-मोटी नगरी हे बसेले बड़ी दूर, चलत-चलत पैजनिया लागे रे धूर।
कतेक दिनवाँ रहब नन्द हो लाल।।१।।
हाँ रे, सोने के मचिअवा पियवा देले भेजवाय, अपने त रहे पियवा माधोपुरवा छाय।
कतेक दिनवाँ अब रहब नन्दलाल हो, कतेक दिनवाँ।।२।।
सोने के थकरिया पियवा देले भेजवाय, हाँ रे जेतने थकरबों, ओतने समुझब जून।
हाँ रे, कतेक दिनवाँ रहब नन्दलाल हो, कतेक दिनवाँ।।३।।
हाँ रे, सोने के ककहिया पियवा देले भेजवाय, जेतने ककहबों, ओतने समुझब जून।
कतेक दिनवाँ ना अब रहब नन्दलाल हो, कतेक दिनवाँ ना।।४।।
हाँ रे, लदली बरदिया पियवा देलन भेजवाय, अपने त रहे पियवा माधोपुरवा छाय।
कतेक दिनवाँ ना अब रहब नन्दलाल हो, कतेक दिनवाँ ना।।५।।
सोने के सिन्होरवा पियवा देले भेजवाय, जेतने टिकब ओतने समझब जून।
हाँ रे, कतेक दिनवाँ ना, अब रहब नन्दलाल हो, कतेक दिनवाँ ना।।६।।
आम त महुइया चढ़ि बोलेली जोड़ी काग, मोरे लेखे माधोपुर में धधकेला आग।
हाँ रे, कतेक दिनवाँ ना, अब रहब नन्दलाल हो, कतेक दिनवाँ ना।।७।।

कहवाँ लगइबों असविरवा

कहवाँ लगइबों असविरवा, हाँ रे असविरवा भँवरवा लाल
कहवाँ लगइबों लवरंगिया, भँवरवा लाल, कहवाँ लगइबो लवरंगिया।।१।।
बारीए लगइबों असविरवा, हाँ रे असविरवा,
अँगने लगइबों लवरंगिया, हाय-हाय भँवरवा लाल।।२।।
कथिए बेरइबों असविरवा, भँवरवा लाल,
कथिए बेरइबों लवरंगिया, हाय हाय रे भँवरवा लाल।।३।।
कथिर छिछिअइबों असविरवा, हाँ असबिरवा, भँवरवा लाल,
कथिए छिछिअइबों लवरंगिया, हाय हाय रे भँवरवा लाल।।४।।
तेल ही छिछिअइबों असबिरवा, हाँ रे असबिरवा, भँवरवा लाल,
तेल ही छिछिअइबों लवरंगिया, हाय-हाथ रे भँवरवा लाल।।५।।

हाँ रे, नदिया किनारे हो संवरो हो

हाँ रे, नदिया किनारे हो संवरो हो, हाँ रे, फूलनी फूलइले।
हाय-हाय फूलनी फूलइले, हाय-हाय फूलनी फूलइले।।
मचिया ए हो बइठल ऐ हो सँवरो, अब झारे झीन हो केसी।
हाय-हाय, झारेली केसी, हाय-हाय, झारेली केसी।।
हाँ रे, मोरा संगे जइबे जटिनिया बड़ा सुख पइबे, बड़ा हो सुख पइबे।
हाँ रे, हथिया हे चढ़ल जटिनिया, हाय-हाय, बिरहन गइबो।
हाँ रे, तोरा संगे जइबों महुतिया, बड़ा कष्ट पइबों।
हाँ रे, घामवा-बेअरिया देह मोरा झांमर।
हाँ रे, तोरा संगे जइबों महुतिया बड़ा कष्ट पइबों।।

कथिए के टंगिया रे केचुल

कथिए के टंगिया रे केचुल, कथी लागे बेंटवा से,
ए होचली रे भेल मेझली के बनावाँ।।१।।
ऊपरा निहरले रे केंचुल, ऊपरा निहरले रे केंचुल, तारा मारे छेटरी।
ए हो बीच रे गेड़ा खम्हिया उड़ाय, ए हो खम्हिया उड़ाय।।२।।
एक खम्हा गइले रे केंचुल लाग री गोरखपुर,
एहो, दूजे खम्हा देस चउपारन।।३।।
कथी कइ लरही रे केंचुल, कथी कइ लरही रे केंचुल, कथी लागू बतिया री।
एहो, कथी कर परबीया छाजनी छावले।।४।।
सोने कर लरही रे केंचुल, रूपे लागे बतिया रे।
ए हो, मजुरा के परबीया छाजनी छावले।।

पुरुष घुसुर घुसुर धान कूटे

पुरुष घुसुर घुसुर धान कूटे, धइ अटकावे केस।
हम त धनिया जात बजरिया, का पठइबों सनेस।।
घनिया लतातर के पत्ता, झोरा में के गोली।
उजड़ाडीह के शंख, हाथी के दू दन्त।।

देवता धमकी रे गेल

देवता धमकी रे गेल, देवता धमकी रे गेल,
बिजुली तड़की गेल री।।
ए हो, बरिसहु देव, मूसरा के धार।।

सिपाही सिंह 'श्रीमंत' जी के लिखल १६ गो रोपनी के गीत
सिपाही सिंह ‘श्रीमंत’ जी के लिखल १६ गो रोपनी के गीत

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