विद्या शंकर विद्यार्थी जी के लिखल भोजपुरी गजल आ गीत

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हे रामजी बताईं

जेकरा के पास लगलीं उहे घिना गइल
हे रामजी बताईं कइसन दिन आ गइल ।

कहेला लोग कि बेटा कामे आई जीवन में
काँपे लागी जब हाथ त थाम्हे आई जीवन में
भइल बाकि सब उलुटा जामल घिना गइल,
हे रामजी बताईं कइसन दिन आ गइल ।

टटका देलीं जेकरा के से देला बसिआइन
बोली में लस ना बाटे बोलेला बिखिआइन
कसूर ना रहल तबो कसूर गिना गइल,
हे रामजी बताईं कइसन दिन आ गइल ।

लोर के भँवर में नइया परी ना जनलीं हम
लोग कहल कि चेतऽ कहल ना मनलीं हम
सुख के बिनलीं खाटी दुख के बिना गइल,
हे रामजी बताईं कइसन दिन आ गइल ।

माई के दूध पीअलस माइओ के ना भइल
हर के ना भइल तऽ हराइओ के ना भइल

विद्या शंकर विद्यार्थी जी
विद्या शंकर विद्यार्थी जी

जिनिगी के रास्ता में सपना धुआँ गइल,
हे रामजी बताईं कइसन दिन आ गइल ।

अन्हार के घेरा के अब तूर रहल बा आदमी

अन्हार के घेरा के अब तूर रहल बा आदमी
भूखाइल सबेरा के जरूर रहल बा आदमी

अभाव के जिनगी में कइसे केहू लिही साँस
मारल कवनो फेरा के जरूर रहल बा आदमी

बतावता आग दब के रहल तितिकी नियन
आह के दर्द में हेरा के जरूर रहल बा आदमी

अदिमिये बा अदिमी के अधिकार छिन लिहले
एतना दिन ले डेरा के भरपूर रहल बा आदमी

भेदे के आ गइल कला अब चक्रव्यूह के बाटे
एतना दिन से पेरा के जरूर रहल बा आदमी ।

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